लखनऊ । दोनों हाथों को गवा चुके सुभाष को उम्मीद नहीं थी कि वह एक बार फिर दोनों हाथों से भले ही वह कृत्रिम हो , दिनचर्या के कार्य कर सकेगा । लेकिन किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के लिंब सेंटर विभाग स्थित डीपी एमआर विभाग में उसकी जिंदगी में एक बार फिर इंद्रधनुषी रंग भर जाएंगे। आज वह लिंब सेंटर कार्यशाला प्रबंधक शगुन सिंह ने यह रंग कृत्रिम हॉट बनाकर दोबारा भर दिया। सीतापुर निवासी 45 वर्षीय सुभाष एक सरकारी विभाग में इलेक्ट्रीशियन के पद पर कार्यरत है, वर्ष 2015 में ट्रेन एक्सीडेंट में उसने अपने दोनों हाथ गंवा दिये थे। सुभाष का कहना है, उसको यह जानकारी नहीं थी कि लखनऊ स्थित यह डीपीएमआर विभाग उसकी जिन्दगी की राह फिर बना सकता है, फिर उसे किसी जानने वाले से लिम्ब सेन्टर के बारे में परिचित ने जानकारी दी थी तो फरवरी 2020 में उसने यहां दोनों हाथ बनाने के लिए नाप दी। दुर्भाग्य ऐसा कि उसके बाद कोरोना काल शुरू हो गया, जिससे वह अपने हाथ लगवाने नहीं आ पाया था। धीरे-धीरे दिन बीतते रहे, आज वह लिम्ब सेंटर पहुंचा। यहां पर प्रॉस्थेटिस्ट व लिंब सेंटर कार्यशाला प्रबंधक शगुन सिंह ने उसके लिए बनाये गये दोनों हाथों को फिट किया। उन्होंने बताया कि कृत्रिम हाथों से बहुत से कार्य भी किये जा सकते हैं। सुभाष ने अपने नये हाथों से सबसे पहले पानी पीने के लिए मास्क हटाया, पानी की बोतल उठायी और धीरे-धीरे मुंह तक ले जाकर जैसे ही पानी पिया। यह सुख तो उसने एक्सीडेंट के बाद पहली बार महसूस किया।
सुभाष बताते है कि मुझे तो यहां की व्यवस्था के बारे में जानकारी नहीं थी कि गरीब दिव्यांगों की मदद इतने कम शुल्क में की जाती है। इस तरह के नकली हाथ यहां साढ़े आठ हजार रुपये में बन जायेंगे। उन्होंने बताया इसी तरह के हाईटेक कृत्रिम हाथ की कीमत करीब पांच लाख रुपये आती है। सुभाष ने बताया कि मैडम ने कृत्रिम हाथों का का प्रयोग कैसे किया जाए। उसकी प्रैक्टिस कराई है । अब मैं खाना-पीना तथा सभी कार्य खुद करूंगा। उसने बताया कि मैंने अभी हस्ताक्षर भी कर सकता हूं। धीरे-धीरे अब जिंदगी कुछ आसान सी होती लग रही है । उसने कहा कि लिम्ब सेंटर ने मुझे जो जिंदगी का नया रास्ता दिखाया है और यहां मैडम की मदद से आत्मनिर्भर बन गया हूं। अब मैं अपनी ड्यूटी इलेक्ट्रीशियन के पद पर न करके कार्यालय में लगवाने का अनुरोध करूंगा।
बहुत बहुत गर्व हैं भाभी जी आप पे