लखनऊ। गोमती नगर स्थित डा. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में महिला के मौत के परिजनों ने हंगामा करना शुरू कर दिया। परिजनों ने आरोप लगाया है कि मरीज को भर्ती करने के बाद डॉक्टरों ने इलाज तो कर दिया, लेकिन मरीज की हालत गंभीर होने लगी तो स्टाफ द्वारा फोन करने पर भी कोई वरिष्ठ डाक्टर नही पहुंचा। इस बीच सही इलाज न मिलने पर मरीज की मौत हो गई। यही नही मरीज के अस्थायी मृत्यु प्रमाण प्रत्र के लिए भी उन्हें घंटों का इंतजार करवाया गया। परिजनों ने कंहा है कि सीएम जनसुनवाई पोर्टल पर इसकी शिकायत करेंगे ताकि उन्हें न्याय मिल सके।
बाराबंकी निवासी राजकुमारी (55 उम्र) पित्त के थैली का कैंसर था। परिजनों का कहना ह कि यह कैंसर अभी प्रथम स्टेज पर था। मरीज के परिजन विजय ने बताया की उनकी मां की तबियत शुक्रवार को अचानक खराब होने पर स्थानीय अस्पताल में प्राथमिक इलाज कर डॉक्टरों कराया, तो डाक्टरों ने जांच के बाद मरीज को लोहिया संस्थान के लिए रेफर कर दिया। तीमारदार जब मरीज को लेकर यहां पहुंचे तो डॉक्टरों ने महिला को गैस्ट्रो सर्जरी विभाग में डॉ.प्रशांत वर्मा के तहत भर्ती किया गया। मरीज को बीपी की समस्या होने के कारण डॉक्टर ने मरीज को आरसीपी कर नलकी डालने के लिए बारह हजार खर्च की बात कही। जिसके बाद मरीज को बेहोशी की दवा देकर नलकी डालने का प्रयास किया ,लेकिन नलकी नहीं जा सकी। इसके बाद डॉक्टरों ने परामर्श करने मरीज को दूसरे वार्ड में शिफ्ट करहने की बात बतायी। इसके साथ ही इलाज में तुरंत 60 से 65 हजार रूपये खर्च होना बताया। जब परिजनों ने इतना रुपया व्यवस्था में अस्मर्थ जतायी, तो मरीज को डिस्चार्ज कर घर ले जाने के लिए कह दिया, परिजन मरीज को जब तक घर ले जाते तब तक शनिवार को दोपहर दो बजे मरीज की हालत बिगड़ने लगी। इसके बाद कई बार डॉक्टर को बुलाने का प्रयास किया गया, लेकिन दो बज जाने के कारण डॉक्टर नहीं आए और आरोप है कि इलाज न मिलने पर 4 बजे इलाज के अभाव में मरीज महिला की मौत हो गयी। परिजन विजय ने बताया की उनकी मां की मौत के बाद जब वह उनके अस्थाई मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने के लिए काउंटर पर पहुंचा तो, वहां का कर्मचारी एक से डेड घंटे तक नदारद रहा। जब परिजनों ने हंगामा मचाना शुरू किया तो काफी बवाल के बाद आनन-फानन में कर्मी कुर्सी पर आकर बैठा। उल्टा प्रमाण देने की बजाय पुलिस को भी बुला दिया। कुर्सी पर बैठने के तीन घंटे बाद अस्थाई मृत्यु प्रमाण पत्र मिला।
लोहिया संस्थान के प्रवक्ता डा. श्री केश का कहना है कि अभी घटना संज्ञान में नहीं है। सभी विभागों के वार्ड में सीनियर डॉक्टर मौजूद रहते हैं। परिजनों का आरोप गलत है। अस्थाई मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने में दस्तावेज मिलने के बाद ही दो घंटे का समय लगभग लग ही जाता है।
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