लखनऊ। एक तरफ जहां कोरोना संक्रमण से जिंदगी की जंग जीतने के बावजूद भी कई लोग प्लाज्मा दान देने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं। ऐसे में लोगों को प्रेरित करने के लिए लखनऊ के 40 वर्षीय व्यापारी अमितोज भशीन अपने आप में एक मिसाल के रूप में उभरे है। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग में बुधवार को भशीन ने 300वां प्लाज्मा दान किया गया।
खास बात यह है कि 300वां दानकर्ता पिछले ढाई महीने में पहले भी दोबारा अपना प्लाज्मा दान कर चुके हैं। इस अवसर पर उनका कहना है कि तीसरी बार प्लाज्मा दान करने के बाद भी उनके शरीर में कोई कमजोरी या अन्य समस्या नहीं है और वह दूसरों को प्रेरित करने के लिए निरंतर डाक्टरों के परामर्श से अपना प्लाज्मा दान कर रहे हैं।
इस अवसर पर ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. तूलिका चन्द्रा ने बताया कि इससे पूर्व भी अमितोज भशीन वालंटियर के रूप में 112 बार और उनके पिता 50 बार अपना रक्तदान कर चुके हैं। उन्होंने बताया कि उनके शरीर में एंटीबाड्ीज प्रर्याप्त मात्रा में बन रही है और उनका प्लाज्मा दान प्लास्मा फेरेसिस विधि से सम्पन्न हुआ है। उन्होंने बताया कि प्लास्मा फेरेसिस की प्रक्रिया पूर्ण तयः सुरक्षित एवं हानि रहित है। एक आम इंसान में सामान्यता पांच से छह लीटर रक्त होता है, जबकि इस प्रक्रिया के लिए मात्र 400 से 500 मिली लीटर प्लाज़्मा हीलिया जाता है तथा रक्त का अवशेष भाग प्लास्माफेरेसिस मशीन द्वारा शुद्ध करके पुनः दानकर्ता के शरीर में पहुंचा दिया जाता है।
डॉ. तूलिका चन्द्रा ने बताया कि प्लाज़्मा दान करने से पूर्व दानकर्ता की विभिन्न जांचे जैसे एचआईवी, हिमोग्लोबिन, मलेरिया, हिपेटाइटिस-बी, हिपेटाइटिस-सी, सिफलिश एवं कम्पलिट ब्लड काउंट की जांच कराई जाती है तथा पूर्ण रूप से स्वस्थ व्यक्ति का प्लाज़्मा ही लिया जाता है।
इस अवसर पर कोरोना संक्रमण से स्वस्थ हो चुके सभी लोगों से अपील की है कि वह आगे आए और प्लाज्मा दानकर कोरोना से ग्रसित मरीजों की जान बचाने में अपना सहयोग प्रदान करें
इस अवसर पर केजीएमयू कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल डॉ. बिपिन पुरी द्वारा डॉ. तूलिका चन्द्रा के माध्यम से अमितोज भशीन को कोरोना वारियर्स का प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।