NEWS- अमेरिका की तीन हजार से अधिक काउंटी पर किये गए एक नए शोध से पता चला है कि जो लोग प्रदूषण कारक सूक्ष्म कणों के संपर्क में अधिक समय तक रहते हैं उनकी कोविड-19 से मौत होने की आशंका बढ़ जाती है।
उम्मीद जताई जा रही है कि इस अध्ययन के सामने आने के बाद नीति निर्माता वायु प्रदूषण से होने वाले नुकसान पर गंभीरता से विचार करेंगे आैर महामारी के दौरान होने वाली मौतों की संख्या में कमी लाने के लिए प्रयास करेंगे।
‘साइंस एडवांसेज” नामक शोध पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में कोविड-19 से होने वाली मौतों आैर पीएम 2.5 कणों के संपर्क में अधिक समय तक रहने के प्रभावों की जांच की गई।
यह अनुसंधान अमेरिका की 3089 काउंटी में रहने वाली जनसंख्या के 98 प्रतिशत लोगों पर किया गया।
अध्ययन में पाया गया कि इन प्रदूषण कारक कणों के संपर्क में अधिक समय तक रहने पर कोविड-19 से होने वाली मौत की दर में वृद्धि हुई।
हालांकि अध्ययन से पीएम 2.5 कणों आैर कोविड-19 के मरीजों की मृत्यु दर के बीच की कार्यप्रणाली स्पष्ट नहीं होती लेकिन अनुसंधान में शामिल हार्वर्ड विश्वविद्यालय समेत अन्य संस्थानों के वैज्ञानिकों का मानना है कि इन कणों के संपर्क में अधिक समय तक रहने से फेफड़ों में ‘एसीई-2 रिसेप्टर” अधिक उत्पन्न हो सकते आैर इससे कोरोना वायरस को शरीर की कोशिकाओं में घुसने में सहायता मिलती है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि वायु प्रदूषण के संपर्क में अधिक समय तक रहने से लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर भी विपरीत असर पड़ता है।