लखनऊ। पटाखों के प्रतिबंध आैर लोगों में जागरूकता के कारण से दीपावली पर इस बार पटाखों से जलने की कम दुर्घटनाएं हुई। क्षेत्रों में थोड़ा बहुत पटाखों का प्रयोग किसी हद तक नियंत्रित आैर कम रहा। इस कारण हर वर्ष की तरह पटाखों के जलने व घायल होने की घटनाएं बहुत कम ही रही। खास बात यह रही कि किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के ट्रॉमा सेंटर में कोई भी दुर्घटना का कोई मरीज नहीं पहुंचा। उधर सिर्फ सिविल अस्पताल में बहुत कम संख्या में घायल पहुंचे।
अगर देखा जाए तो पटाखों के सबसे ज्यादा केस केजीएमयू के ट्रामा सेंटर में भर्ती होने के लिए आया करते थे, इस बार पटाखों को जलाते वक्त होने वाली घटनाओं के कारण मरीज नदारद रहे। केजीएमयू के मीडिया प्रवक्ता डा. सुधीर सिंह ने बताया कि इस बार दीवाली की वजह से कोई भी केस इमरजेंसी ट्रामा सेंटर में रिपोर्ट नहीं हुआ है। यह सुखद है कि पटाखों के कारण जलने व घायल होने वाले केस प्रतिबंध के कारण नहीं हुए। इसी प्रकार लोहिया संस्थान के प्रवक्ता डॉ श्रीकेश सिंह का कहना है कि संस्थान में किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने की तैयारी कर रखी गयी थी। दीपावली में पटाखों के कारण किसी तरह का कोई भी गंभीर दुर्घटना का केस इमरजेंसी में नहीं पहंुचा है। वही जिला अस्पताल बलरामपुर के सीएमएस डॉक्टर आरके गुप्ता का कहना है कि हर बार तो दीपावली पर काफी संख्या में पटाखों से जलने के केस तथा घायल होने के पहुंच ही जाते थे, लेकिन इस बार ऐसा कोई ऐसा घायल नहीं पहुंचा, जिसे इमरजेंसी में भर्ती करने की आवश्यकता पड़ी हो।
सिविल अस्पताल के सीएमएस डॉ एसके नंदा का कहना है कि दीपावली में शनिवार व रविवार दो दिनों में पटाखों की वजह के कारण घायल हुए लगभग दस लोग पहंुचे, इनमें प्राथमिक उपचार के बाद सिर्फ चार मरीजों को भर्ती करना पड़ा। उन्होंने बताया कि गंभीर रूप से जख्मी में सिर्फ एक बर्निग केस बहराइच से रेफर होकर आया है। वह हाथ और चेहरे पर करीब 20 फीसद तक जला हुआ है। उसे भर्ती कर इलाज किया जा रहा है।