लखनऊ। डा. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में इलाज के दौरान युवती की मौत के कारणों की जांच होगी। तीमारदारों का आरोप था कि डाक्टर व नर्सिंग स्टाफ की लापरवाही के कारण उनकी बेटी की मौत हो गयी थी। तीमारदारों ने इसकी शिकायत पर चिकित्सा शिक्षा मंत्री से की थी। उन्होंने इस शिकायत को घटना गंभीरता से लिया आैर प्रकरण के जांच के आदेश दिए हैं।
बताते चले कि छह अक्तूबर को आदिलनगर निवासी ऐश्वर्या सिंह (21) को सांस लेने में तकलीफ हुई। तीमारदारों ने उसे लोहिया संस्थान की इमरजेंसी में पहुंचे थे। डॉक्टर ने मरीज को वार्ड दो के बेड नम्बर 23 पर भर्ती कर लिया था। इलाज के बाद 10 अक्तूबर को मरीज को डिस्चार्ज कर दिया गया। आरोप हैं कि मरीज की हालत ठीक नहीं थीं, फिर भी डिस्चार्ज कर दिया गया।
पिता जेबी सिंह का कहना है कि 11 अक्तूबर को फिर से बेटी की तबीयत बिगड़ गई। आनन-फानन उसे लोहिया में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों ने मरीज के फेफड़े में पानी जमा होने की बात बतायी थी। उनका कहना है कि 25 अक्तूबर की रात को बेटी को उलझन होने लगी। डॉक्टर के निर्देश पर नर्स ने दवाएं दी , उनका कहना है कि कम पावर की दवा देनी थी, लेकिन ज्यादा पावर की दवा दे दी गयी। दवा लेने के बाद बेटी ऐश्वर्या का ब्लड प्रेशर गड़बड़ा गया। आरोप हैं कि हालत गंभीर होने के बावजूद नर्सिंग स्टाफ ने नहीं सुना आैर मरीज को तबियत गंभीर होती गयी। समय पर सही इलाज नहीं मिलने पर 26 की सुबह उनकी बेटी की सांसें थम गई। पिता ने बताया कि बेटी नर्सिंग की पढ़ाई कर रही थी। पीड़ित पिता इंसाफ के लिए मुख्यमंत्री, चिकि त्सा शिक्षा मंत्री के अलावा शासन-प्रशासन को कई पत्र लिख कर गुहार लगायी। तीमारदारों की शिकायत के बाद चिकित्सा शिक्षा मंत्री सुरेश खन्ना ने प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए सात नवम्बर को मामले की जांच के आदेश दिए हैं। इसके बाद 18 नवम्बर को अपर मुख्य सचिव रजनीश दुबे ने मामले से जुड़ी फाइलें तलब की हैं। इसके बाद लोंिहया संस्थान प्रशासनिक अधिकारियों में हड़कम्प मचा है।