लखनऊ। हार्निंया की जनरल सर्जरी में प्रयोग की जाने वाली जाली (नेट) को अब लेप्रोस्कोपिक सर्जरी में प्रयोग किया जा सकता है। लेप्रोस्कोपी की उच्चस्तरीय रेट्रोरेक्टर तकनीक का प्रयोग किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के जनरल सर्जरी विभाग के लेप्रोस्कोपिक सर्जरी विशेषज्ञ डा. अवनीश कर रहे है। डा. अवनीश को सर्जन एसोसिएशन आफ इंडिया काफ्रेंस प्रदेश शाखा में बेस्ट यंग सर्जन के अवार्ड से भी सम्मानित किया गया है। डा. अवनीश ने रविवार को काफ्रें स में डाक्टरों को नयी तकनीक की जानकारी दी। इसके अलावा काफ्रें स में देश भर के विभिन्न मेडिकल कालेजों के 137 पीजी मेडिकोज ने अपने- अपने रिसर्च पेपर प्रस्तुत किये। वर्चुअल तकनीक से आयोजित कार्यक्रम में तीन बेस्ट रिसर्च पेपर प्रस्तुत करने वाले डाक्टरों को पुरस्कार देकर सम्मानित भी किया गया।
लेप्रोस्कोपिक सर्जरी विशेषज्ञ डा. अवनीश ने बताया कि हार्निया की जनरल सर्जरी अब कम हो गयी है। ज्यादातर लेप्रोस्कापी तकनीक से ही सर्जरी हो रही है। उन्होंने बताया कि लेप्रोस्कोपी तकनीक में प्रयोग होने वाली जाली (नेट)काफी महंगी आती है, जिससे सर्जरी का खर्च काफी बढ़ जाता है। अब नयी रेट्रोरेक्टर लेप्रोस्कोपी तकनीक से सामान्य सर्जरी में प्रयोग होने वाली सामान्य जाली (नेट) को ही लेप्रोस्कोपी तक नीक में प्रयोग करके अंदर फिक्स कर दी जाती है। उन्होंने बताया कि इस तकनीक में मरीज का खर्च बहुत कम अाता है। ज्यादातर यह तकनीक एम्लाइकल व इनसीजनल हार्निया में प्रयोग की जाती है। काफ्रें स के प्रवक्ता वरिष्ठ सर्जन डा. अरशद ने बताया कि वर्चुअल काफ्रें स ने चिकित्सा शिक्षा के नये आयाम खोल दिये है। उन्होंने बताया कि कही भी किसी भी मेडिकल कालेज में बैठे डाक्टर या पीजी मेडिकोज काफ्रें स में भाग ले सकते है। काफ्रें स में 137 पीजी मेडिकोज ने रिसर्च पेपर प्रस्तुत किया, जोकि पहली बार काफ्रें स में हुआ है। उन्होंने बताया कि पीजी रिसर्च पेपर में प्रथम पुरस्कार डा. बंसती, द्वितीय पुरस्कार डा. अंकिता तथा तृतीय पुरस्कार डा. सौरभ ने जीता है। काफ्रें स में डा. सुरेश, डा. शैलेन्द्र ने सर्जरी प्रबंधन पर जानकारी दी।