बदलती जीवन शैली और लापरवाही से बढ़ रही कार्डियक बीमारी

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लखनऊ। कार्डियक बीमारी लोगों में तेजी से बढ़ रही है। बदलती जीवन शैली और लापरवाही के कारण पिछले वर्षों में सबसे ज्यादा मौत दिल की बीमारियों से हुई है। इसके बाद फेफड़े की बीमारी आती है। जिसके कारण लोग ज्यादा मौत का शिकार हुए। रिपोर्ट में कहा गया है डायबिटीज के साथ डिमेंशिया भी बीमारी लगातार लोगों की बढ़ी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का रिपोर्ट में दावा है कि पिछले 20 वर्षों में दुनिया में सबसे ज्यादा मौतें कार्डियक की बीमारी से हुई हैं।) डायबिटीज के अलावा अब डिमेंशिया यानी भावनाओं की बीमारी भी दुनिया के उन 10 रोगों में शामिल है जो सबसे ज्यादा लोगों की जिंदगियां छीन रही है।

डब्ल्यूएचओ ने बुधवार को स्वास्थ्य रिपोर्ट जारी की। वर्ष 2000 से लेकर 2019 तक का डेथ रिकॉर्ड शामिल किया गया। रिपोर्ट के मुताबिक, जानने में जिन 10ys से सबसे ज्यादा मौतें होती हैं उनमें 7 ऐसे बीमारियां हैं जो एक से दूसरे इंसान में नहीं हैं। ऐसी बीमारी को नॉन-कम्युनिकेशंसबल डिसीज कहते हैं।

रिपोर्ट की 4 मुख्य बातें

1. जीवन में 16% मौतें हृदय रोगों से बनी हुई हैं
पिछले 2 दशक के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, बीमारियों में होने वाली बीमारियों से 16 फीसदी हिस्सा हृदय रोगों की है। पिछले 20 वर्षों में इस्केमिक हार्ट डिसीज से होने वाली मौतों में 20 लाख से अधिक की वृद्धि हुई है। 2019 तक ये आंकड़ा 90 लाख पहुंच गया है। दूसरे पायदान पर स्ट्रोक है।

डब्ल्यूएचओ के डायरेक्टर-जनरल टेड्रोस अधानोम का कहना है, ‘ये आंकड़े एक रिमाइंडर की तरह हैं जो बताते हैं कि हमें नॉन-कम्युनिकेशंसेबल डिसीज का तेजी से बचाव, जांच और इलाज करने की जरूरत है। शरीर की बीमारियों की देखभाल ही ऐसी बीमारियों से बचानेएगी और वैश्विक महामारी से भी लदेगी। ‘

2. हार्ट के बाद सबसे ज्यादा मौतें सांस के मरीजों की हुई
रिपोर्ट के बारे में, हार्ट के बाद सबसे ज्यादा मौतें सांस से जुड़ी बीमारियों से हुई हैं।) तीसरे पायदान पर क्रॉनिक ऑबस्ट्रेक्टिव पल्मोनरी डिसीज और चौथे पर लोवर रेस्पिरेटरी इंफेक्शन है। क्रॉनिक ऑबस्ट्रेक्टिव पल्मोनरी डिसीज की मौतों में भाग 6 प्रति रही। वहीं, पिछले 20 वर्षों में लोवर रेस्पिरेटरी इंफेक्शन से 26 लाख मौतें हुईं। इसके बाद सबसे ज्यादा मौतें नवजातों की हुईं।

3. दो दशक में डायबिटीज से मौत के मामले में 70% बढ़े
WHO के मुताबिक, मौतों का आंकड़ा बढ़ाने में डायबिटीज भी जिम्मेदार है। यह 9 वें पायदान पर है। पिछले दो दशकों में डायबिटीज से होने वाली मौतों में 70 प्रति की वृद्धि हुई। इसमें पुरुषों का आंकड़ा 80 प्रति है। वहीं, डिमेंशिया से होने वाली मौतों में 65 प्रति महिलाएं शामिल हैं।

4. अब बात राहत की, चूहों-टीबी से मौतें घटीं और लोगों की उम्र बढ़ी

20 साल पहले सीखने में होने वाली मौतों के मामले में एचआईवी / एड्स 8 वें पायदान पर था जो 2019 में 19 वें स्थान पर चला गया।
टीबी अब दुनिया की 10 बड़ी बीमारियों में शामिल नहीं है। 2000 में यह 7 वें पायदान पर था जो 2019 तक गिरकर 13 वें स्थान पर चला गया है। मलेरिया से होने वाली मौतों का आंकड़ा भी कम हुआ है।
पिछले 20 वर्षों में लोगों की औसतन उम्र 6 साल तक बढ़ गई है। 20 साल पहले इंसान की औसत उम्र 67 साल थी जो 2019 में 73 साल हो गई।

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