लखनऊ। पीजीआई में लाखों रुपये के दवा घोटले में संदेह के घेरे में आये पेशेंट हेल्पर को बृहस्पतिवार को ओपीडी फार्मेसी से हटा दिया गया है, हालाँकि राजधानी कोविड अस्पताल की फार्मेसी का प्रभार अभी भी इसी के पास है। दो अन्य कर्मचारियों को इधर से उधर किया गया है। हालांकि दवा घोटाले में हटाये गए संविदा कर्मी फार्मेसी के स्थायी कर्मचारियों के खिलाफ निलंबन की मांग पर अड़े हैं। यह घोटाला उन्ही ने किया है। संविदा कर्मियों फर्जी फंसा कर बाहर कर दिया गया है। इसके लिए वह जल्द ही शासन जाकर शिकायत करेंगे।
बृहस्पतिवार को पीजीआई प्रशासन ने ओपीडी फार्मेसी प्रभारी निशांत सिंह को हटा दिया है। संस्थान के एक बड़े अफसर के सहयोगी का करीबी होने को वजह से इसे पेशेंट हेल्पर होते हुए भी कई फार्मेसी का प्रभार दिया हुआ था। घोटाले में नाम आने पर ही हटाया गया है।
ओपीडी फार्मेसी में टेक्नीशियन दीपक को जिम्मेदारी दी गई है, हालांकि घोटाले की जांच के चलते दीपक यहां रुकना नही चाहता है। पीएमएसएसवाई स्थित फार्मेसी की जिम्मेदारी केके गुप्ता को दी गई है। अधिकारी कहते हैं कि पीजीआई की कमेटी और पुलिस की जांच अभी चल रही है। जांच पूरी होने पर जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।
उधर पीजीआई प्रशासन दवा घोटाला रोकने के लिए पीडी मरीजों के खाते से फर्जीवाड़ा रोकने के लिए ओटीपी व्यवस्था लागू करने जा रहा है। गुरुवार को तकनीक अफसरों ने ओपीडी का निरीक्षण कर इस व्यवस्था को परखा। कम्प्यूटर पर पीडी खाता वाले मरीजों के मोबाइल नंबर इससे जोड़े जाएंगे।