*कर्मचारियों ने मांगों पर निर्णय करने की मांग की*
लखनऊ, राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष सुरेश रावत एवं महामंत्री अतुल मिश्रा ने बताया कि परिषद की मांगों पर लगातार उपेक्षा किए जाने के कारण कर्मचारियों को आंदोलन करने को बाध्य होना पड़ा जिसका पूर्ण उत्तर दायित्व राज्य सरकार का है । परिषद ने कहा कि देश में महंगाई बढ़ती जा रही है और कर्मचारियों का शोषण हो रहा है महंगाई के अनुरूप भत्ते में बढ़ोत्तरी की जगह महंगाई भत्ता फ्रीज हो जाने के कारण कर्मचारियों को आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, अति शीघ्र महंगाई भत्ता नहीं लागू किया गया तो कर्मचारियों का घर चलना मुश्किल हो जाएगा ।
परिषद ने वेतन समिति की संस्तुतियों को लागू करने, भत्तों की कटौती वापस कर उनका भुगतान करने, कैशलेस इलाज, आउटसोर्सिंग और संविदा कर्मचारियों को विनियमित करने की नीति बनाने एवं उनके वेतन का समय से भुगतान करने, रिक्त पदों पर भर्ती एवं पदोन्नति करने, मृतक आश्रित कर्मियों के आश्रितों की नियुक्ति करने एवं समस्त देयको का भुगतान करने आदि मांगों पर सरकार का ध्यानाकर्षण चाहा है ।
परिषद के प्रमुख उपाध्यक्ष सुनील यादव ने बताया कि परिषद के आव्हान पर प्रदेश के 75 जनपदों ने कार्यक्रम को सफलतापूर्वक संचालित किया है, लखनऊ के स्वास्थ्य विभाग, वन विभाग, वाणिज्य कर, आईटीआई, रोडवेज, शिक्षा, परिवार कल्याण, सिंचाई विभाग, समाज कल्याण, वन विभाग, गन्ना विभाग, सभी चिकित्सालय, लोहिया संस्थान केजीएमयू आदि विभागों में काला फीता बांधकर विरोध दर्ज कराया गया । यह कार्यक्रम 27 फरवरी तक चलता रहेगा । इसके बाद 18 मार्च को सभी जनपद मुख्यालयो पर धरना प्रदर्शन होगा ।
परिषद के नेताओं ने मुख्यमंत्री जी तथा मुख्य सचिव से आग्रह किया है कि मुख्य सचिव स्तर पर हुई बैठक में लिए गए निर्णयों पर तत्काल शासनादेश जारी करें, वरना प्रदेश भर के कर्मचारियों को बड़ा आंदोलन जिसमें कार्य बाधित भी शामिल है करना पड़ सकता है । परिषद ने मुख्यमंत्री जी से तत्काल हस्तक्षेप करके मांगों पर निर्णय कराने की मांग की है ।
75 जनपदों में काला फीता बांधकर जारी रहा विरोध प्रदर्शन
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