KGMU : लैपटॉप घोटाले में निष्पक्ष जांच में नपेंगे दिग्गज

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लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में करीब एक करोड़ 60 लाख के लैपटॉप घोटाले में कई आैर दिग्गजों पर गाज गिर सकती है। अगर इस घोटाले की गहराई से जांच हुई, तो कुछ पूर्व कुलपति, परीक्षा नियंत्रक भी आैर कई अन्य अधिकारी भी चपेट में आ सक ते है।
एक दिन पहले खुद पर एफआईआर दर्ज होने के बाद केजीएमयू के तत्कालीन आईटी सेल सचिव ने पूरी व्यवस्था पर प्रश्न चिह्न लगा दिया है। उन्होंने एफ आई आर दर्ज कराने वाले केजीएमयू के चीफ प्रॉक्टर प्रो आर एएस कुशवाहा पर भी निशाना साधा है। उनका आरोप है कि केजीएमयू कार्यपरिषद ने मामले में एफ आई आर दर्ज कराने का निर्देश दिया था, लेकिन परिषद के फैसले में कहीं भी डॉ आशीष बखालू के नाम का जिक्र नहीं किया गया था, यदि उनके खिलाफ एफ आई आर दर्ज कराई गई है, तो चीफ प्रॉक्टर तत्कालीन वित्त नियंत्रक और तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक, लैपटॉप खरीदने के लिए अनुमति देने वाले तत्कालीन कुलपति के नाम एफआईआर क्यों नहीं दर्ज कराया गया है। फिलहाल इस आरोप प्रत्यारोप के बीच अब यह मामला उलझता जा रहा है।
यह पूरा प्रकरण
केजीएमयू के प्रॉक्टर प्रो. आरएएस कुशवाहा ने कुलसचिव आशुतोष द्विवेदी के पत्र का हवाला देकर चौक थाने में तहरीर दी है। इस तहरी र के बाद रिपोर्ट दर्ज कर ली गई है। इससे पहले आठ जून को भी तहरीर दी गई थी। इसमें बताया गया कि कार्यपरिषद की बैठक में अन्य एजेंडा के तहत कुलपति ने पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के पदच्यूत प्रो. आशीष वाखलू पर रिपोर्ट दर्ज कराने के मामले में अनुमोदन दिया। प्राक्टर प्रो आरएएस कुशवाहा ने 300 लैपटॉप खरीद के मामले में जांच समिति की रिपोर्ट दी। इसमें बताया गया है कि आईटी सेल ने 53447 की दर से 300 लैपटॉप खरीदे। इसकी कुल कीमत एक करोड़ 60 लाख 34 हजार एक सौ है। इसे केजीएमयू के आईटी सेल के तत्कालीन सदस्य सचिव डा. आशीष वाखलू ने यूपीडिस्को एवं अपट्रान पावरट्रानिक्स लिमिटेड से कोटेशन लेकर बजट प्लान किया गया था। तत्कालीन केजीएमयू कुलपति डा. रविकांत से एग्जामिनेशन फंड से अनुमोदन प्राप्त किया। इस मामले में एक सितंबर 2015 को आपूर्ति आदेश जारी किया गया और 18 जनवरी 2016 को आपूर्ति मिली। इसका भुगतान सीपीएमटी 2014 निधि से किया गया। अभिलेख में कटिंग, क्रोनोलाजिकल आर्डन ना होना एवं समान पत्रों पर भिन्न टिप्पणिया हैं। इतना ही नहीं खरीदे गए लैपटॉप का प्रयोग परीक्षा के स्थान पर अन्य कार्यो के लिए किया गया। उस वक्त के तत्कालीन आईटी सेल प्रभारी डॉ आशीष का कहना है कि 8 जून को एजेंडे में कहीं भी उनके नाम से एफ आई आर दर्ज कराने की बात नहीं कही गई थी। चीफ प्रॉक्टर प्रो. आर एस कुशवाहा ने जब उनके खिलाफ एफ आई आर दर्ज कराया तो पूर्वकुलपति, पूर्व परीक्षा नियंत्रक के खिलाफ़ तहरीर क़्यो नही दिया है। उन्होंने कहा कि लैपटॉप ख़रीद के अनुमोदक तत्कालीन कुलपति एवं वित्त अधिकारी है भुगतानकर्ता परीक्षा नियंत्रक है।

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