लखनऊ । राजधानी में कोरोना संक्रमण से मौत के आंकड़ों ने सभी रिकार्ड तोड़ दिये हैं। यहां विभिन्न कोविड हॉस्पिटलों में 65 मरीजों ने संक्रमण से मौत हो गयी।
राजधानी में अभी संक्रमण से इतना अधिक मौत का आंकड़ा नहीं पहुंचा था। अगर देखा जाए तो अभी तक संक्रमण से 39 से ज्यादा मरीजों की मौत नहीं हुई है। विशेषज्ञ डॉक्टरों का कहना है कि बढ़ते संक्रमण के साथ राजधानी में बिस्तरों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। अस्पतालों में बिस्तरों का विस्तार होते ही गंभीर मरीजों की संख्या भी बढ़ जाती है। अगर देखा जाए तो वर्तमान में सबसे ज्यादा मरीजों को ऑक्सीजन लेवल कम होने की दिक्कत है, जांच में ज्यादातर डॉक्टर कोविड-19 निमोनिया बताते हैं। जिसमें जरा सी चूक पर मरीज की हालत तेजी से गंभीर होती है और उसे आईसीयू या वेंटिलेटर की आवश्यकता होती है। काफी संख्या में मरीज ऐसे हैं कि जिन्हें समय पर वेंटिलेटर या आईसीयू मुहैया नहीं हो पा रहा है । जो कि उनकी मौत का कारण बन रहा है। यही नहीं होम आइसोलेशन के मरीजों ऑक्सीजन व समुचित इलाज के अभाव में मरीजों की हालात गंभीर हो रही है। सीधे वेंटिलेटर पर मरीजों को भर्ती करने की जरूरत पड़ रही है। डॉक्टरों की माने तो मरीज की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद शुरुआत के चार से पांच दिन बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। समय पर सटीक इलाज से संक्रमण को नियंत्रित किया जा सकता है। कोविड-19 हॉस्पिटल में इलाज करने वाले विशेषज्ञ डॉक्टरों का मानना है कि अगर देखा जाए तो मरीजों में संक्रमण के साथ ही अन्य बीमारियां भी तेजी से अपना प्रभाव दिखाने लगती है । इसके अलावा मरीजों में कोविड निमोनिया बड़ी संख्या में पाया जा रहा है जिसके कारण तेजी से सांस फूलती है और ऑक्सीजन लेवल कम होता जाता है, अगर समय पर सही इलाज ना मिला तो ज्यादातर मरीज मौत के आगोश में आ जाते हैं। इसके अलावा जहां के अस्पतालों में स्थानीय मरीजों के साथ आस-पास जनपदों के मरीज भी काफी संख्या में गंभीर हालत में आ रहे हैं।