कोविड-19 वैक्सीन ‘कोवैक्सीन’ के लिए जरूरी ड्रग का उत्पादन 15 जून से शुरू हो जाएगा और जुलाई तक इसकी पहली खेप भारत बायोटेक (Bharat Biotech) को दे दी जाएगी। यह जानकारी राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के तहत फर्म IIL ने दी जिसे देश में वैक्सीन पदार्थ उत्पादन बढ़ाने के लिए मिशन COVID सुरक्षा के तहत चुना गया है। दरअसल कोवैक्सीन के लिए जरूरी दवाओं को बनाने के लिए भारत बायोटेक ने IIL को पार्टनर बनाया है।
IILs के मैनेजिंग डायरेक्टर के आनंद कुमार (K Anand Kumar) ने शुक्रवार को जारी किए गए बयान में बताया कि फर्म को इस बात की उम्मीद है कि शुरुआत में हर माह 2-3 मिलियन खुराक का उत्पादन किया जा सकेगा। बाद में इसे 7-15 मिलियन तक कर दिया जाएगा। उन्होंने बताया, ‘विनिर्माण प्रक्रिया की तैयारी शुरू कर दी गई है। देश की जनसंख्या को देखते हुए देश को वैक्सीन की बड़ी संख्या में जरूरत है। इसे पूरा करने के लिए हमने भारत बायोटेक के साथ एक प्रौद्योगिकी सहयोग समझौते किया है। इसके तहत हम भारत बायोटेक के लिए कोवैक्सीन के लिए जरूरी दवाओं का निर्माण हैदराबाद में अपनी एक मैन्युफेक्चरिंग फैसिलिटी में करेंगे और निर्माण प्रक्रिया की तैयारी शुरू कर दी गई है और हमने पहले ही कुछ ट्रायल कर लिए हैं और वे सफल रहे हैं।’
मैनेजिंग डायरेक्टर ने बताया कि इस निर्माण इकाई की क्षमता प्रति माह लगभग 2 से 3 मिलियन डोज की होगी। उन्होंने उल्लेख किया कि उसी विनिर्माण इकाई में एक नया संयंत्र भी स्थापित किया जा रहा है। डॉ. आनंद ने आगे कहा कि IIL खुद एक वैक्सीन विकसित कर रहा है। कोवैक्सीन को बनाने से लेकर उसकी आपूर्ति करने में चार माह का समय लग जाता है।
हैदराबाद स्थित कंपनी ने कहा कि तकनीकी ढांचे और नियामक दिशानिर्देशों के मुताबिक कोवैक्सीन के एक बैच के उत्पादन, जांच और उसे जारी करने में 120 दिन का समय लगता है। कंपनी का यह बयान ऐसे समय में आया है, जबकि कई राज्यों से कोवैक्सीन की मांग आ रही है और इसका उत्पादन बढ़ाने की बात कही जा रही है। कंपनी ने एक बयान में कहा कि मार्च में कोवैक्सीन के जिस बैच के उत्पादन की प्रक्रिया शुरू की गई थी, वह जून में तैयार होकर मिलेगा। वैक्सीन के उत्पादन से लेकर वितरण के बीच कई प्रक्रियाओं का पालन करना पड़ता है। कई कदम उठाने पड़ते और इसमें बड़े पैमाने पर मानव संसाधन की जरूरत होती है। इसमें अंतरराष्ट्रीय आपूर्तिकर्ताओं से लेकर उत्पादकों, नियामकों और राज्य एवं केंद्र सरकार के बीच बहुत ही उच्चस्तरीय समन्वय की जरूरत होती है।