लखनऊ। कैंसर संस्थान से दो डॉक्टरों की छुट्टी कर दी गई है। कोरोना काल में दो डॉक्टरों की कैंसर संस्थान से छुट्टी को लेकर हड़कंप मच गया है। संस्थान प्रशासन की तरफ से दोनों डॉक्टरों को पत्र जारी किया गया। जिसमें कहा गया कि संस्थान को अब आपकी जरूरत नहीं है। इसको लेकर केजीएमयू शिक्षक संघ दोनों डॉक्टरों के साथ आ गया है। संघ ने मुख्य सचिव व संस्थान के चेयरमैन को पत्र लिखकर मामले में हस्तक्षेप की मांग की है।
कैंसर संस्थान में 18 मार्च 2017 को मैक्जिलोफिएशल सर्जरी विभाग में डॉ. गौरव सिंह की नियुक्ति हुई थी। गायनकोलॉजी आंकोलॉजी विभाग में केजीएमयू की डॉ. सबूही कुरैशी को तैनाती दी गई थी। डॉ. सबूही लीयन पर आई थीं। नियुक्ति के दो साल तक प्रोबेशन पीरियड होता है। जो जरूरत पड़ने पर नोटिस देकर बढ़ाया जाता है। दोनों डॉक्टरों का कहना है कि प्रोबेशन पीरियड बढ़ाने का कोई नोटिस नहीं मिला। इस स्थिति में खुद-ब-खुद त्म माना जाता है। वहीं संस्थान प्रशासन ने प्रोबेशन का वक्त बीतने के दो साल बाद नौकरी से हटाने का आदेश जारी कर दिया। इसका पत्र दोनों डॉक्टरों को 17 मई को दिया गया। पत्र देख डॉक्टर सकते में आ गए हैं। संस्थान के अधिकारियों का दावा है कि एक की अर्हता पूरी नहीं थी। जबकि दूसरा विभाग का पद सृजित नहीं था। पीड़ित डॉक्टरों ने हाई कोर्ट में गुहार लगाई। जिन्हें कोर्ट से स्टे मिल गया है।
कैंसर संस्थान में बदइंतजामी हावी है। इलाज की व्यवस्थाएं सुचारू नहीं हो पा रही हैं। यही वजह है कि अब तक 13 डॉक्टर नौकरी छोड़कर जा चुके हैं। इस समय 24 डॉक्टर कार्यरत हैं। अक्तूबर 2020 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सेवाओं का शुभारंभ किया था। संस्थान में डॉक्टरों में आपसी मतभेद हैं। यही वजह है कि डॉक्टर लगातार संस्थान छोड़कर जा रहे हैं और इस तरह की कार्यवाही हो रही हैं।
वर्जन
दोनों डॉक्टरों को हटाने का मामला अभी मामला लंबित है। इसलिए इस पर किसी भी प्रकार की टिप्पणी करना उचित नहीं है।
डॉ शालीन कुमार, निदेशक कैंसर संस्थान
नियमित पद पर भर्ती के बाद किसी भी डॉक्टर को हटाने के प्रक्रिया है। कैंसर संस्थान में प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है। नोटिस व जांच कमेटी तक नहीं बनी। ऐसे में अचानक नौकरी से हटाने के आदेश उचित नहीं है। उच्च अधिकारियों को पत्र भेजकर गुहार लगाई गई है।
डॉ. केके सिंह अध्यक्ष, केजीएमयू शिक्षक संघ