लखनऊ। गोरखपुर व आस-पास के जनपदों के डाक्टर जिसे कोरोना संक्रमण समझ बच्चे को छू तक नही थे, उसकी जब केजीएमयू के डाक्टरों ने जांच की तो फेंफड़े में ट¬ूमर की दिक्कत निकली। पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के डा. जेडी रावत आैर उनकी टीम ने बच्चे के फेफड़े में ट¬ूमर मिलने पर जटिल सर्जरी की। सर्जरी के बाद बच्चा स्वस्थ्य होकर डिस्चार्ज हो गया है।
कुशीनगर निवासी मुन्ना के बेटे को दो महीने पहले सांस लेने में दिक्कत होने के साथ ही खांसी आने लगी। सांस तेज चल रही थी। इसके साथ ही निमोनिया भी बताया गया। स्थानीय डॉक्टरों ने कोरोना की संदेह व्यक्त करते दवाएं दी। इसके बाद भी बच्चे की तबीयत में सुधार नहीं हुआ। पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के डॉ. जेडी रावत ने बताया कि बच्चे के एक्सरे, सीटी स्कैन समेत ब्लड की अन्य जांच करायी। डॉ. रावत ने बताया कि जांच में पता चला कि बच्चे के बाएं तरफ का फेफड़ा व छाती में बड़ी गांठ बन गयी थी। उन्होंने बताया कि ट्यूमर फेफड़े पर दबाव डाल रहा था। फेफड़ा लगातार सिकुड़ रहा था। इस कारण उसे सांस लेने में तकलीफ हो रही थी, डॉक्टरों ने छाती में नली डाली, तो बच्चे को कुछ राहत मिली। डा. रावत का कहना है कि बीमारी की वजह से बच्चे में खून की कमी हो गई थी। डाक्टरों को सर्जरी से पहले ब्लड भी चढ़ाना पड़ा।
21 जून को बच्चे को एनेस्थिसिया देने के बाद चेस्ट ओपन कर खोलकर सर्जरी की गयी।
डॉ. जेडी रावत के मुताबिक ट¬ूमर काफी बड़ा था। सर्जरी में देखा गया कि ट¬ूमर दिल के पास झिल्ली पेरिकार्डियम भी चपेट में आ रही थी। ट्यूमर हार्मोन का स्त्राव करने वाली थायमस ग्लैंड तक पहुंच चुका था। सर्जरी जटिल हो गयी थी किसी प्रकार सावधानी पूर्वक ट्यूमर निकाला गया। करीब तीन घंटे सर्जरी चली।
मां सुंदरी ने केजीएमयू के डाक्टरों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि गोरखपुर समेत दूसरे डॉक्टरों ने बच्चों को देखा तक नहीं। यहां के डॉक्टरों ने मेरे लाल को बचा लिया। पिता मुन्ना ने कहा कि सभी ने कोरोना की आशंका जताते ही इलाज से मनाकर दिया था।
डाक्टर टीम : डॉ. जेडी रावत, डॉ. सर्वेश कुमार, एनस्थीसिया विभाग की डॉ. विनीता सिंह व डॉ. रवि प्रकाश टीम में शामिल हुए।