लखनऊ। शनिवार को भी चिकित्सा स्वास्थ्य महासंघ का दूसरे दिन पूरे प्रदेश में 2 घंटे का कार्य बहिष्कार जारी रहा। इस दौरान अस्पतालों में इमरजेंसी छोड़कर कहीं भी चिकित्सा सेवा नहीं दी गई। मरीज भटकते रहे और वृक्ष नेशन कार्य भी प्रभावित हो गया।
चिकित्सा स्वास्थ्य महासंघ उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष डा अमित सिंह, प्रधान महासचिव अशोक कुमार, सरक्षक के के सचान, संयोजक, डा सचिन वैश्य ,सचिव सर्वेश पाटिल, वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्रवण सचान ,संगठन सचिव संजय रावत , सम्प्रेक्षक महेन्द्र पान्डेय, उपाध्यक्ष, मंजू सिंह, जे के सचान, आईनिस चाल्र्स, राम मनोहर कुशवाहा, डा सुनीता यादव, रवीन्द्र यादव, अनिल चौधरी, रेनू पटेल, मनीषा गुरंग,र्डी पी ए अध्यक्ष संन्दीप बढोला ,जिला अध्यक्ष लखनऊ कपिल वर्मा, रजत यादव ,सुनील,देवशरण शुक्ला व अन्य के आवाह्न पर पूरे प्रदेश के सभी मेडिकल कालेज, जिला चिकित्सालय, महिला चिकित्सालय, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर 2 घन्टे का कार्य बहिष्कार पूरी तरह से सफल रहा,सभी अधिकारी/कर्मचारी नेताओं ने सरकार द्वारा की गयीं दोहरी स्थानतरण नीति का जमकर नारेबाजी करते हुए विरोध किया कि हमें चिकित्सा स्वास्थ्य (शासन)के अनुभाग-7 दिनांक 27जून 2018 के पैरामेडिकल संवर्ग की विभागीय स्थानतरण नीति नहीं चाहिए, जबरन स्थानतरण नीति का विरोध किया गया, जब कि इस समय जब करौना काल में दूसरी लहर अभी जारी है तीसरी लहर का प्रकोप जारी होने वाला है, इस समय हम लोगों को जहाँ सम्मानित किया जाना चाहिए था। उस समय हम सभी को स्थानतरण जैसी वयस्था से दण्डित किया जा रहा है। शनिवार, रविवार को अभी भी कर्फ्यू जारी है। जब किसी को फोन मिलाएं तो भारत सरकार की गाईड लाईन के अनुसार मोबाइल के कालर टयून में भी कहा जाता है कि जब तक बहुत जरूरी ना हो घर से बाहर ना निकले,कोरोना संक्रमण अभी जारी है, ऐसे में हम लोगों को अन्यत्र जनपद में स्थानतरण क्यों जरूरी हो गया है। चिकित्सा स्वास्थ्य महासंघ उत्तर प्रदेश के प्रधान महासचिव अशोक कुमार ने बताया कि चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग के 1- दिनांक 9 जुलाई से चलाये जा रहे कार्यक्रम को प्रदेश भर में विभाग के चिकित्सक,नर्सेज, एवं पैरामेडिकल कर्मचारी अनवरत प्रातः 8बजे से10बजे तक 2 घन्टे का कार्य बहिष्कार जैसा आज किए उसी तरह से आगे भी जारी रखेंगे। 2-दिनांक 12जुलाई को प्रदेश भर के चिकित्सक एवं कर्मचारी प्रातः10बजे से महानिदेशालय का घेराव करेंगे। जब तक स्थानांतरण नीति में जबरन स्थानांतरण की व्यवस्था समाप्त नहीं की जाती ,तब तक आन्दोलन जारी रहेगा। यदि स्थानांतरण करना है ,तो स्वयं के अनुरोध पर ही स्थानांतरण किया जाय,जिससे इस वैश्विक महामारी के दौरान किसी को किसी भी तरह की अनावश्यक परेशानी का समाना ना करना पढे जबकि चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग में सैकडों लोगों की कोविड के दौरान अकस्मात निधन भी हो गया है, ऐसे समय में जब हमारी कोई सुरक्षा व्यवस्था का ध्यान नहीं है, तो कैसे स्थानतरण जबरदस्ती किया जा रहा है, इस कोविड काल में पर हम सभी लोगों को सम्मानित किया जाना चाहिए था जैसे अन्य प्रदेशों में एक-एक महीने के अतिरिक्त वेतन दिये गए, परन्तु यहां पर तो मुख्यमंत्री जी की घोषणा मूलवेतन का 25 प्रतिशत प्रोत्साहन राशि के रूप में दी जायेगी । परन्तु बहुत ही अफसोस होता है कि शासन प्रशासन को अपने मुख्यमंत्री के घोषणा की भी कोई परवाह नहीं किया जा रहा है, ना ही किसी को प्राप्त हुआ। जबकि यह व्यवस्था केवल मई,जून, जुलाई के लिये थी।ऐसे में जब तीसरे लहर की बात चल रही हैं। चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग में लगभग सभी संवर्गो के बहुतायत पद रिक्त पड़े हैं । उन्हें भरना चाहिए उस समय पर केवल जबरन स्थानतरण की बात कर के सरकार हम सभी को इस तरह कार्य बहिष्कार करने के लिए बाध्य कर रही है है।