लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के ब्लड बैंक में तमाम कोशिश के बाद भी दलाल सक्रिय है। ब्लड यूनिट की धंधेबाजी को रोकने के लिए अब हीमो विजिलेंस टीम बनाया जा रही है। इसके माध्यम से ब्लड बैंक से निकली प्रत्येक ब्लड यूनिट निगरानी के दायरे में रहेगी। यदि मरीज को ब्लड नहीं चढ़ पाया है, तो उसकी जानकारी भी देनी होगी।
केजीएमयू में ट्रॉमा सेंटर में बड़ी संख्या में गंभीर घायलों को भर्ती होने के लिए आते है। आंकड़ो के अनुसार क्वीनमेरी में काफी संख्या में भर्ती होने वाली गर्भवती को हीमोग्लोबिन सामान्य से काफी कम होता है। ऐसे मरीजों को ब्लड चढ़ाने की आवश्यकता होती है। मरीजों को ब्लड एंड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग के ब्लड बैंक से दिया जाता है। 80 से 90 प्रतिशत मरीजों को ब्लड डोनेशन के बाद ही ब्लड दिया जाता रहा है। हालांकि ब्लड की दलाली रोकने के लिए बायोमेट्रिक सिस्टम, सीसीटीवी कैमरे आदि लगे हुए हैं। इससे ब्लड बैंक से पेशेवर रक्तदाताओं व दलालों ने मरीज के लिए दिये जाने वाले ब्लड में जुगाड़ करना शुरू कर दिया है। देखा यह गया है कि मरीज को ब्लड मंगा तो लिया जाता है लेकिन उसके ठीक रहने के कारण कुछ यूनिट बच जाती हैं। आरोप है कि ऐसे में मरीज के लिए आया ब्लड यूनिट का प्रयोग न होने पर उसे निजी अस्पताल में बेच-खरीद का धंधा चलने लगा है।
केजीएमयू ने इसे रोकने के लिए हीमो विजिलेंस सिस्टम लागू किया जा रहा है। ब्लड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग की प्रमुख डॉ. तूलिका चन्द्रा का कहना है कि हीमो विजिलेंस सिस्टम में ब्लड बैंक से सभी वार्ड जुड़ चुके हैं। सिस्टर इंचार्ज वार्ड से ही ब्लड यूनिट की जानकारी व प्लाज्मा, प्लेटलेटस व अन्य अवयव की जानकारी मरीज की आईडी के साथ साफ्टवेयर पर अपलोड करेगी। तीमारदार के आने पर ब्लड बैंक पहुंचने पर स्टाफ सैम्पल की क्रॉस मैचिंग कर यूनिट उपलब्ध करा देगा आैर ब्लड यूनिट की जानकारी साफ्टवेयर पर अपडेट करेगा। ऐसे में वार्ड में मरीज तक ब्लड पहुंचने की जानकारी पहुंच जााएगी। वहीं नर्स मरीज के ब्लड चढ़ने के बाद फिर साफ्टवेयर पर जानकारी अपडेट करेगी। इससे दलालों के हाथ में पहुंचने के साथ-साथ ब्लड को बेकार होने से रोकने में मदद मिलेगी। अक्सर देखा गया है कि स्टाफ ड्यूटी बदलने पर मरीज का ब्लड स्टोर रह जाता है। इसी कमी का फायदा उठाते हुए ब्लड के दलाल तीमारदारों से जोड़ तोड़ कर फार्म पर ब्लड यूनिट की जानकारी ले लेते है। अब ऑनलाइन व्यवस्था होने से यह खेल भी थमेगा। जल्द ही रेडियोथेरेपी व क्लीनिकल हीमेटोलॉजी विभाग में नई सिस्टम को लागू किया जाएगा।