लखनऊ। बच्चे के कील निगलने पर निकालने डाक्टर जटिल सर्जरी करने के लिए परामर्श दे रहे थे। उस सर्जरी के बजाय किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के गैस्ट्रोसर्जरी विभाग के प्रमुख डा. सुमित रूगंटा ने लेप्रोस्कोप के साथ एक विशेष तकनीक दो इंच लम्बी कील को छोटी आंत से सफलता पूर्वक बाहर निकाल दिया। खास बात यह थी कि बच्चे को कुछ देर बाद डिस्जार्च भर कर दिया। ऐसे में बच्चा जटिल सर्जरी से बच गया आैर परिजन सर्जरी पर होने वाले बड़े खर्च से बच गये।
7 वर्षीय बालक जो कि गोंडा मे एक ई रिक्शा चालक का पुत्र है। वह दस दिन पहले लगभग 2 इंच लंबी लोहे की नुकीली कील से दांत साफ कर रहा था आैर उसी वक्त अचानक उसे निगल गया। यह कील खाना खाने की नली एवं पेट से होते हुए छोटी आंत में जाकर फंस गयी।
परिजनों ने पहले घरेलू उपचार कर उसको निकालने का प्रयास किया गया, परंतु सफलता ना मिलने पर कई डाक्टरों को दिखाया गया। गोंडा के डाक्टरों जांच के बाद सर्जरी की सलाह दी। उन्होंने यह सर्जरी काफी खर्चीला एवं लाइफ के लिए खतरनाक बताया गया। इस दोस्तों की सलाह पर बालक के पिता उसको लेकर केजीएमयू लेकर पहुंचे। जहां पर मरीज को बाल विभाग के वरिष्ठ डा. सिद्धार्थ कुंवर की देखरेख में भर्ती किया गया। उन्होंने गैस्ट्रो मेडिसिन डिपार्टमेंट के विभागाध्यक्ष डॉ सुमित रूंगटा से इस मरीज के बारे में सलाह मांगी। डॉ सुमित रुंगटा एवं उनकी टीम ने जांच पड़ताल के बाद लेप्रास्कोप तकनीक से मुंह के रास्ते से इस लंबी कील को आंत से निकालकर उस 7 वर्षीय बालक को नया जीवन दान दे दिया। इसी के साथ बालक को एक बड़े सर्जरी से बचा लिया। यही रिक्शा चालक पिता को एक बड़े आर्थिक नुकसान से भी बचाया ।
खास बात यह थी कि कील निकालने के बाद जांच करके तुरंत बच्चे को डिस्चार्ज भी कर दिया गया।
इस प्रक्रिया के दौरान डॉ सुमित रूंगटा के साथ डॉ कमलेंद्र वर्मा, डॉ गुलाम अख्तर सिस्टर माजमी, एंडोस्कोपी टेक्नीशियन जितेन्द्र एवं वार्ड बॉय हर्ष निषाद ने प्रक्रिया में सहयोग किया ।
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