लखनऊ। लंबे समय तक पेन किलर दवा खाने से शरीर में ब्लड की कमी होने के साथ बोनमेरो में भी दिक्कत हो सकती है । बिना डॉक्टर के परामर्श के दवाओं का सेवन नहीं करना चाहिए। इससे मरीज के किडनी पर भी असर पड़ सकता है। यह जानकारी केजीएमयू हिमैटोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. एके त्रिपाठी ने
मंगलवार को केजीएमयू में प्रीवेंटिव हिमैटोलॉजी क्लीनिक का शुभारंभ कार्यक्रम में दी। केजीएमयू में प्रीवेंटिव हिमैटोलॉजी क्लीनिक का शुभारंभ हुआ। डॉ. एके त्रिपाठी ने बताया कि यह देश की पहली क्लीनिक है, जिसमें लोगों को जागरुक किया जाएगा।
यह कार्यक्रम सैल्बी हॉल में आयोजित किया गया, जिसमें केजीएमयू हिमैटोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. त्रिपाठी ने कहा कि दर्द निवारक दवा से पेट में अल्सर होने का खतरा बन जाता है। अल्सर होने से धीरे-धीरे खून का रिसाव होता है। यह एनीमिया की कारण बन सकता है। इसी तरह किडनी पर भी दर्द निवारक दवाएं असर डालती हैं। बोन मैरो पर भी दर्द निवारक दवाएं विपरीत असर डालती हैं। उन्होंने कहा कि लंबे समय में गैस की दवाएं भी परेशान कर सकती हैं। उन्होंने कहा कि
बर्गर, चाउमीन, पिज्जा और छोले भूटरे आदि का ज्यादा सेवन भी खतरनाक है। इससे भी शरीर में खून की कमी हो सकती है। जंक फूड में कारबोहाइड्रेड और वसा अधिक होता है। आयरन व फोलिक एसिड नहीं होता है। इससे भी शरीर में खून की कमी हो सकती है।
दिल्ली एम्स की डॉ. तुलिका सेठ ने कहा कि ज्यादातर खून संबंधी बीमारियों की रोकथाम जागरूक से किया जा सकता है। समय पर इलाज से खून संबंधी बीमारियों से निजात पाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा आयरन की कमी से लोगों में एनीमिया हो रही है। ऐसे में खाने में हरी पत्ते दार सब्जियां, फल आदि का सेवन बढ़ा देना चाहिए। इससे शरीर में आयरन की कमी को रोक सकते हैं। थैलेसीमिया व हीमोफीलिया के मरीज खान-पान बेहतर रखकर अच्छा व स्वस्थ्य जीवन जी सकते हैं। कुलपति डॉ. बिपिन पुरी ने कहा क्लीनिक के माध्यम से लोगों को जागरुक करने का प्रयास काफी सराहनीय है।
डा . त्रिपाठी ने कहा खून संबंधी बीमारियों की पहचान और बचाने का तरीका बताया जाएगा। न्यू ओपीडी बिल्डिंग के दूसरे तल पर कमरा नंबर 220 में प्रत्येक शनिवार को सुबह 10 से दोपहर दो बजे क्लीनिक का संचालन होगा। साथ ही विभिन्न तीमारदारों को एक जगह इकट्ठा करके मौखिक, पैम्फलेट, नुक्कड़ नाटक और वीडियो दिखाकर खून संबंधी बीमारियों से बचने के उपाय बताए जाएंगे। एनीमिया मुक्त बनाने के लिए गांव गोद लिए जाएंगे। इसमें जागरुकता अभियान चलाया जाएगा।