लखनऊ। गोमती नगर स्थित डा. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के लिए के विशेषज्ञ डाक्टरों ने किडनी प्रत्यरोपण में सैकड़ा लगा दिया। संस्थान के डॉक्टरों ने यह सैकड़ा का आंकड़ा पांच साल में 100 मरीजों के किडनी प्रत्यारोपण करके किया है। बृहस्पतिवार को मरीज की किडनी सफलता पूर्वक प्रत्यारोपण करने के बाद यह जानकारी लोहिया संस्थान प्रशासन दे दी। लोहिया संस्थान में सौं वां किडनी प्रत्यारोपण राजधानी निवासी के 29 वर्षीय युवक का किया।
बताते चले कि लोहिया संस्थान में वर्ष 2016 से किडनी प्रत्यारोपण शुरू किया गया था। किडनी प्रत्यारोपण शुरू में पीजीआई के विशेषज्ञों की सहायता से महीने में एक मरीज का गुर्दा प्रत्यारोपण शुरू हुआ। इसके बाद धीरे-धीरे लोहिया संस्थान के डॉक्टरों ने प्रत्यारोपण करना शुरु कर दिया। वर्ष 2019 में 50 मरीजों की सफलता पूर्वक किडनी प्रत्यारोपण कर दिया था।
बृहस्पतिवार को राजधानी के 29 वर्षीय युवक का सौ वां किडनी प्रत्यारोपण किया गया। इस प्रत्यारोपण में मां ने बेटे की जान बचाने के लिए किडनी दान किया। डॉक्टरों ने बताया कि प्रत्यारोपण के बाद दोनों की स्वस्थ स्थिर है।
नेफ्रोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. अभिलाष चन्द्रा का कहना है कि प्रत्यारोपण कराने के बाद अभी भी 80 प्रतिशत मरीज अभी भी फालोअप पर है। उन्होंने बताया कि संक्रमण की वजह से 20 प्रतिशत प्रत्यारोपण ज्यादा सफल नहीं कहे जा सकते है। प्रत्यारोपण के बाद हर महीने चार से पांच हजार रुपये मरीज को दवा पर खर्च करने पड़ते हैं। इसमें इम्यूनो सप्रेशन दवाएं शामिल हैं, क्योंकि शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता गुर्दे से लड़ने लगती है। इससे किडनी का संक्रमण होने का खतरा बना रहता है। इसलिए डॉक्टर की सलाह दवाएं और जरूरी जांचें कराएं। किडनी ट्रांसप्लांट यूनिट में नौ बिस्तर हैं।
यूरोलॉजी विभाग के डॉ. आलोक श्रीवास्तव के मुताबिक प्रत्यारोपण करा चुके 30 से 40 फीसदी मरीज दस साल से अधिक जिंदगी जी लेते है। इसलिए किडनी प्रत्यारोपण के बाद मरीज को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है। संक्रमण से बचना चाहिए। डॉक्टर की परामर्श पर ही भोजन करना चाहिए। 15 से 20 प्रतिशत मरीज को प्रत्यारोपण के बाद भी किडनी की बायोप्सी की जरूरत पड़ती है।