कोरोना में कोन्वलेसेंट प्लाज्मा थेरेपी मददगार नही

0
705

 

Advertisement

 

 

 

 

न्यूज। कोरोना संक्रमण महामारी की शुरुआत में वैज्ञानिकों को उम्मीद थी कि ”कोन्वलेसेंट प्लाज्मा”” कोविड-19 के इलाज का एक तरीका हो सकता है।
रोगियों को कोविड महामारी से उबर चुके लोगों का प्लाज्मा देने के पीछे यह विचार था कि एंटीबॉडी युक्त सम्मिश्रण की यह पद्धति उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली को संक्रमण से लड़ने में मदद करेगी। यह इबोला सहित अन्य संक्रामक रोगों के लिए सफलता के विभिन्न स्तरों के साथ आजमाई गई रणनीति है।
परन्तु इस सप्ताह प्रका¶िात एक अंतरराष्ट्रीय अध्ययन सहित लगातार सामने आ रहे साक्ष्यों से पता चलता है कि कोन्वलेसेंट प्लाज्मा कोविड-19 से गंभीर रूप से बीमार लोगों के जीवन को बचाने में मददगार नहीं है। अनुसंधानकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला कि चिकित्सा “निरर्थक” थी।

कोन्वलेसेंट प्लाज्मा क्या है?
कोन्वलेसेंट प्लाज्मा रक्त का एक उत्पाद है जिसमें संक्रामक रोगाणुओं (जैसे कोविड-19 फैलाने वाला कोरोना वायरस) के खिलाफ एंटीबॉडी होते हैं। यह उन लोगों के रक्त से मिलता है जो संक्रामक बीमारी से उबर चुके हैं।
वैज्ञानिक विभिन्न रक्त घटकों को अलग करने के लिए एफेरेसिस नामक एक प्रक्रिया का उपयोग करते हैं। लाल आैर सफेद को¶िाकाओं आैर प्लेटलेट्स को हटा दिया जाता है जिससे सिर्फ प्लाज्मा बचता है जो एंटीबॉडी से भरपूर होता है।
कोन्वलेसेंट प्लाज्मा थेरेपी (या सीरम थेरेपी) की कहानी 1890 के द¶ाक में ¶ाुरू होती है जब चिकित्सक एमिल वॉन बेहरिंग ने डिप्थीरिया का कारण बनने वाले बैक्टीरिया से घोड़ों को संक्रमित कर दिया। एक बार जब घोड़े ठीक हो गए, तो बेहरिंग ने मनुष्यों में इस बीमारी का इलाज करने के लिए उनका एंटीबॉडी युक्त रक्त एकत्र किया। इसके कारण उन्हें 1901 में ¶ारीर विज्ञान या चिकित्सा में प्रथम नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
कोविड के इलाज के लिए कोन्वलेसेंट प्लाज्मा का उपयोग क्यों किया गया ?
एक सदी से भी अधिक समय से संक्रामक रोगों के इलाज के लिए कोन्वलेसेंट प्लाज्मा का उपयोग किया जाता रहा है। इनमें ¶ाामिल हैं: स्कार्लेट ज्वर, निमोनिया, टेटनस, डिप्थीरिया, कण्ठमाला आैर चिकनपॉक्स।
हाल ही में, सार्स (गंभीर तीव्र ¶वसन सिंड्रोम), एमईआरएस (मध्य पूर्व ¶वसन सिंड्रोम) आैर इबोला के उपचार के रूप में कोन्वलेसेंट प्लाज्मा की जांच की गई।
वै¶िवक महामारी की ¶ाुरुआत में, अनुसंधानकर्ताओं को उम्मीद थी कि कोन्वलेसेंट प्लाज्मा का कोविड-19 के इलाज में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
प्रारंभिक अध्ययन आैर कुछ क्लिनिकल परीक्षण आ¶ााजनक थे। इसके कारण कोविड-19 के रोगियों के लिए कोन्वलेसेंट प्लाज्मा का व्यापक उपयोग हुआ।
इस साल मई तक कोविड-19 वाले लोगों में कोन्वलेसेंट प्लाज्मा संबंधी 100 से अधिक क्लीनिकल परीक्षण किए गए; इनमें से लगभग एक-तिहाई अध्ययन समाप्त हो गए थे या जल्दी बंद कर दिए गए थे।
इस साल की ¶ाुरुआत में, यूनाइटेड किंगडम के ऐतिहासिक ‘रिकवरी” परीक्षण के परिणाम बताए गए थे। इसमें कोविड-19 के कारण अस्पताल में भर्ती 10,000 से अधिक लोगों में कोन्वलेसेंट प्लाज्मा थेरेपी (सामान्य सहायक देखभाल की तुलना में) की जांच की।
इसमें पाया गया कि उपचार ने मृत्यु के जोखिम को कम नहीं किया (दोनों समूहों में 24 प्रति¶ात), ठीक होने वाले रोगियों की संख्या (दोनों समूहों में अस्पताल से 66 फीसदी रोगियों को छुट्टी दे दी गई) में या जिनकी स्थिति खराब हो गई (दोनों समूह में 29 प्रति¶ात को सांस लेने में सहायता के लिए यांत्रिक वेंटिले¶ान की आव¶यकता थी) कोई अंतर देखने को नहीं मिला था।
इसलिए अस्पताल में भर्ती कोविड-19 के मरीजों के संबंध में, अनुसंधानकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला कि कोन्वलेसेंट प्लाज्मा ने कोई लाभ नहीं दिया।

Previous articlePencil hole in the windpipe, repaired without surgery
Next articleविहिप कार्यकर्ताओं ने कश्मीर में हत्याओं के विरोध में पाकिस्तान का पुतला फूंका

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here