लखनऊ । किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के डा० अजय कुमार पटवा, एडिश्नल प्रोफेसर, गैस्ट्रोइण्टेरोलॉजी यूनिट, मेडिसिन विभाग ने Liver Research Club of India के सहयोग से अभी हाल ही में एक शोध American Association for the study of Liver Disease के अधिकारिक जनरल हिपैटोलॉजी कम्यूनिकेशन में एक शोध प्रकाशित किया है, जिसमें यह दिखाया गया है कि गिलोय से लिवर को नुकसान पहुँच सकता है।
गिलोय एक प्रकार का पौधा है जिसे भारतीय आर्युवेदिक चिकित्सा पद्धति में एक दवा के रूप में इस्तमाल किया जाता है। यह मान्यता है यह पूरी तरह से सुरक्षित और असरदार है। अभी हाल ही में शुरू हुये कोविड महामारी के दौरान गिलोय को एक इम्यून प्रतिरक्षा वर्धक दवा के रूप में व्यापक तौर पर प्रचारित किया गया है। उपरोक्त शोध में पूरे भारत से 9 राज्यों के 13 केन्द्रों ने भाग लिया और यह दिखाया कि गिलोय से यकृत को नुक्सान पहुँच सकता है। रसायनिक और विषविज्ञान सम्बन्धित विश्लेषणों से गिलोय में पाये जाने वाले हानिकारक तत्वों का पता भी इस अध्ययन में निकलकर सामने आया है। इस अध्ययन में 43 मरीजों का डाटा सामिल किया। इनमें से ज्यादा तर मरीजों ने औसतन 46 दिन तक गिलोय का सेवन किया। यह देखा गया कि मरीजों में यकृत का नुक्सान सामान्य सूजन से लेकर पूरे लीवर को रण तक भी हुआ है और मरीजों में सिर्फ लीवर के एन्जाइम बढ़ने से लेकर पीलिया और मृत्यु तक देखी गयी है। लीवर के टुकड़े की पैथालोजी जॉच में भी लीवर का नुक्सान देखा गया। इस शोध में इस बात को दिखाया गया कि गिलोय पूरी तरह से सुरक्षित दवा नहीं है। डॉक्टर से परामर्श के बिना लंबे समय तक नहीं करना चाहिए