KGMU में यह विभाग बना सेंटर ऑफ एक्सीलेंस

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लखनऊ। विश्व में प्रत्येक वर्ष 14 लाख टीबी मरीजों की सांसें थम रही हैं। उनमें से एक चौधाई से अधिक मौतें अकेले भारत में होती हैं। आंकड़ों में देखा जाए तो विश्व में टीबी का हर चौथा मरीज भारतीय है। हमारे देश में लगभग 1000 लोगों की मृत्यु प्रतिदिन टीबी से हो रही है।

 

 

यह जानकारी किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के रेस्पीरेटरी मेडिसिन विभाग प्रमुख डॉ. सूर्यकांत ने दी। केजीएमयू रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग को प्रदेश का पहला सेन्टर ऑफ एक्सीलेन्स का दर्जा मिला है।
डा. सूर्यकांत शुक्रवार को केजीएमयू के रेस्पीरेटरी मेडिसिन विभाग में आई डिफीट टीबी प्रोजेक्ट के कार्यक्रम में संबोधित कर रहे थे।

 

 

 

 

उन्होंने कहा कि भारत में ड्रग रजिस्टेंट ट्यूबरकुलोसिस के एक लाख में लगभग नौ मरीज हैं। उन्होंने कहा कि टीबी का समय पर पूरा इलाज कराने की जरूरत है। अगर देखा जाए तो मल्टी ड्रग रजिस्टेंट (एमडीआर) टीबी के इलाज में दो वर्ष तक का वक्त लग जाता था। डा. सूर्यकांत ने बताया कि अब नयी मेडिसिन जैसे बिडाकुलीन और डेलामिनिड दवाओं का सेवन डाक्टर से परामर्श के बाद एक वर्ष से कम समय में इलाज हो रहा है। उन्होंने बताया कि अब तक ऐशबाग के अर्जुन पुर व मलिन बस्ती में 52 टीबी पीड़ितों को गोद लिया जा चुका है।

 

 

 

कार्यक्रम में कुलपति डॉ. बिपिन पुरी ने कहा कि केजीएमयू रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग को प्रदेश का पहला सेन्टर ऑफ एक्सीलेन्स का दर्जा मिला है। देश के 15 सेन्टर ऑफ एक्सीलेन्स की सूची में केजीएमयू का नाम है। टीबी के खात्मे के लिए केजीएमयू पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। हम प्रदेश के 75 जिलों के 62 मेडिकल कालेजों को पूरा सहयोग भी देंगे।
सेन्टर ऑफ एक्सीलेन्स के टीबी प्रोजेक्ट का नोडल ऑफिसर डॉ. ज्योति बाजपेई को बनाया गया है। कार्यक्रम में मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. एस एन शंखवार, डब्लूएचओ कंसलटेन्ट डॉ. अपर्णा, रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के डॉ. आरएएस कुशवाहा, डॉ. सन्तोष कुमार, डॉ. राजीव गर्ग, डॉ. अजय कुमार वर्मा, डॉ. आनन्द श्रीवास्तव, स्टेट टीबी ऑफिसर डॉ. संतोष गुप्ता, रेजिडेन्ट डाक्टर्स, डाट्स सेन्टर के समस्त स्वास्थ्य कार्यकर्ता शामिल हुए।
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