प्रांतीय आयुर्वेद एवं यूनानी चिकित्सा सेवा संघ ने जताया विरोध
– इमरजेंसी सेवा में शामिल डॉक्टरों की ड्यूटी लगाया जाना गलत
लखनऊ। केंद्र से लेकर राज्य सरकार तक आयुष विभाग और उससे मरीजों को इलाज देने के लिए बढ़ावा दे रही है। किसी भी विधा की में चिकित्सीय सेवा इमरजेंसी सेवा में आती है। ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों में आयुष के डॉक्टर ही मरीजों के दर्द को मिटाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। ऐसे में दूसरी ओर प्रदेश भर के आयुर्वेदिक एवं यूनानी डॉक्टरों की ड्यूटी माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा संचालित यूपी बोर्ड 10वीं और 12वीं में लगाई जा रही है। इससे आयुर्वेद और यूनानी डॉक्टरों में नाराजगी है। संघ की ओर से शासन व प्रशासन स्तर पर इस संबंध में पत्राचार किया जा रहा है। मांग है कि उन्हें यूपी बोर्ड परीक्षा से विरत किया जाए। डॉक्टरों की परीक्षा में ड्यूटी लगाया जाना ही गलत है।
कोरोना महामारी के दौरान आयुष विधा के डॉक्टरों की अहम भूमिका देखने को मिली। लोगों ने घर पर ही आयुर्वेद, होम्योपैथ से लेकर योग को धारण कर बीमारी पर काबू पाने में सफलता पाई।
खुद प्रधानमंत्री ने इस बात को कहा। प्रांतीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी चिकित्सा सेवा संघ उप्र. ने मुख्य सचिव, कई जिलाधिकारियों समेत अन्य जिम्मेदारों को पत्र भेजा है। इसमें डॉक्टरों की ड्यूटी माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की परीक्षा में लगा दी गई है। इससे अस्पतालों को बंद करना पड़ेगा। साथ ही मरीजों को दवा वितरण, इलाज की असुविधा होगी। आयुर्वेद डॉक्टरों की तीन माह से कोविड, आयुष किट वितरण, आयुष आपके द्वार रविवार को भी सरकार के तमाम कार्यक्रमों में हिस्सा ले रहे हैं। ऐसे में उनकी ड्यूटी यूपी बोर्ड की परीक्षाओं में लगाया जाना गलत है। संघ ने मुख्य सचिव, जिलाधिकारियों के साथ ही अपर मुख्य सचिव आयुष विभाग को भी पत्र भेजकर मांग की है कि उन्हें माध्यमिक शिक्षा बोर्ड आदि प्रकार की ड्यूटी से विरत रखा जाए। ऐसी ड्यूटी लगने से डॉक्टरों में रोष पैदा होता है।