लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय कर्मचारी परिषद ने शासन में वित्त विभाग में तैनात अधिकारियों खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। परिषद ने आरोप लगाया है कि सचिव वित्त प्रदेश सरकार की मंशा के विपरीत काम करके छवि खराब करने का काम रहे हैं।
कर्मचारी परिषद के अध्यक्ष प्रदीप गंगवार का कहना है कि 23 अगस्त 2016 को केजीएमयू के कर्मचारियों को एसजीपीजीआई के समान वेतनमान एवं भत्ते प्रदान करने का शासनादेश जारी किया गया, जिसके क्रम में कर्मचारी परिषद द्वारा पिछले लगभग छह साल में निरंतर अनेकों बार पत्राचार, वार्ता, अनुरोध प्रदर्शन एवं आंदोलन किए गए, किंतु मात्र आठ समवर्गों का ही समवर्गीय पुनर्गठन किया गया।
शासन के वित्त विभाग में 28 समवर्गो की फाइल पिछले कई माह से लंबित है, लेकिन वित्त विभाग द्वारा उस पर कोई कार्यवाही नहीं की गयी। जबकि छह अप्रैल को सचिव वित्त विभाग द्वारा प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा को एक पत्र जारी किया गया, जिसमें केजीएमयू एवं एसजीपीजीआई को अपने कर्मियों के वेतनमान देने के लिए आय व क्षमता बढ़ाने की सलाह दी गयी है। जैसा कि विदित है कि किसी भी चिकित्सा संस्थान को अपनी आय बढ़ाने के लिए मरीजों के इलाज एवं जांच में बढ़ोतरी का कार्य करना होगा। जो कि प्रदेश की जनता के साथ सरासर अन्याय है।
शासन द्वारा दी गयी सलाह पूर्ण रूप से सरकार की कार्यशैली के विपरीत है। जहां सरकार प्रत्येक जिले में 100 बेड का सरकारी अस्पताल खोलकर प्रदेश की गरीब जनता को इलाज देने की मंशा रखती है। वहीं शासन में बैठे अधिकारी प्रदेश की गरीब जनता से ज्यादा शुल्क लेकर आय बढ़ाने की सलाह देते है। कर्मचारी परिषद प्रदेश की जनता के प्रति संवेदनशील रहने वाले उपमुख्यमंत्री व मंत्री चिकित्सा शिक्षा विभाग से जल्द ही सचिव वित्त विभाग के तर्कहीन तथ्यों एवं संंवेदनहीनता की शिकायत कर उनके विरुद्ध कार्यवाही की मांग करेगा। ताकि भविष्य में कोई भी प्रदेश की जनता के प्रति इतनी तुच्छ मानसिकता न रख सके।