लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में अब मेडिसिन के अलावा जांच किये जाने वाले उपकरणों का शरीर पर होने वाले दुष्प्रभावों का भी अध्ययनन करके रिपोर्ट तैयार की जाएगी। अध्ययन के लिए फार्माकोविजिलेंस टीम बना दी गयी है। केजीएमयू अभी तक मरीजों को दी जाने वाली मेडिसिन से होने वाले दुष्प्रभाव की रिपोर्ट तैयार कर रहा है। इसमें अब चिकित्सा उपकरण को भी शामिल कर दिया गया है।
केजीएमयू के लगभग सभी विभागों में स्थित बिस्तरों पर मरीजों की संख्या फुल रहती है आैर कई विभाग तो ऐसे है, जहां पर मरीजों की वेंटिग चलती रहती है। यहां पर मरीजों को दी जाने वाली मेडिसिन आैर आवश्यकता पड़ते पर सर्जरी भी की जाती है। कई विभागों में सर्जरी के दौरान मरीज को स्टंट , पेसमेकर प्लेट लगाना पड़ता है। इनमें जनरल सर्जरी, गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी विभाग, लारी कार्डियोलॉजी, न्यूरो सर्जरी, डेंटल यूनिट ,ऑर्थोपेडिक्स सहित कई अन्य विभाग भी शामिल है। कार्डियक व न्यूरोलॉजी विभाग में कई रोगों के इलाज में मरीजों को पेसमेकर व अन्य मेडिकल उपकरण लगाए जाते हैं। इन उपकरणों का किसी मरीज में कोई दुष्प्रभाव की जानकारी मिलती है तो उसका अध्ययन किया जाएगा। इसके तहत होने वाली परेशानी को फार्माकोविजिलेंस में मामला दर्ज किया जाएगा।
केजीएयमू की वेबसाइट पर फार्माकोविजिलेंस का लिंक दिया गया है, जिसे अधिकृत डॉक्टर-पैरामेडिकल स्टाफ उपकरणों के प्रयोग से मरीज को होने वाली दिक्कतों के बारे भर सकते हैं। इसके तहत चार फॉर्म हैं। मेडिसिन, ब्लड, प्लाज्मा, डोनर और फॉर्म चिकित्सा उपकरणों से जुड़े फार्म भरने होंगे। इसकी सभी प्रक्रिया अब केजीएमयू में ऑनलाइन कर दी गयी है। दुष्प्रभाव अध्ययन की रिपोर्ट होने के बाद उसकी जांच की जाती है। इसके बाद रिपोर्ट को भारत सरकार तक को प्रेषित कर दिया जाता है। ताकि उसे आगे उस उपकरण से होने वाली दिक्कतों को आैर गहनता से मरीज हित में अध्ययन किया जा सके।
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