बजट में कर्मचारियो को कुछ नहीं – परिषद

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महंगाई भत्ते की 18 महीने की रुकी हुई धनराशि के भुगतान की घोषणा नही हुई*
*स्थाई पदों के सृजन करने की योजना नहीं*
*कैशलेश के लिए पर्याप्त बजट नही*

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लखनऊ । राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने आज प्रस्तुत बजट को कर्मचारियों के लिए निराशाजनक बताया है* ।
परिषद के महामंत्री अतुल मिश्रा, प्रमुख उपाध्यक्ष एवं फार्मेसिस्ट फेडरेशन के अध्यक्ष सुनील यादव ने बजट के प्राथमिक अध्ययन के बाद प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कर्मचारियों की मांग थी कि पुरानी पेंशन योजना बहाल की जाए जिस पर वित्त मंत्री ने कुछ नहीं कहा, आयकर स्लैब में कोई बदलाव नही हुआ, कर्मचारियों की मांग थी कि महंगाई भत्ते की 18 माह की फ्रीज धनराशि का भुगतान हो, लेकिन निराश ही हाथ लगी । वहीं निजीकरण , आउटसोर्सिंग की जगह स्थाई रोजगार सृजन करने की आस देख रहे कर्मचारियों को निराशा हुई ।

कैशलेश चिकित्सा अभी तक शुरू नही हो पाई है, इस हेतु आवंटित बजट भी प्रथम दृष्टया कम प्रतीत होता है । कैशलेश इलाज की प्रक्रिया में हो रहा अनावश्यक विलंब कर्मचारी हितों के प्रतिकूल लगता है ।तकनीकी युग मे एक कार्ड बनाने में सालो का समय लग जाना और अभी तक शुरू भी ना हो पाना अत्यंत सोचनीय है ।

चिकित्सा क्षेत्र का बजट और बढ़ाया जाना उचित होता । वहीं जिला और महिला चिकित्सालयों को समेकित कर परिवर्तित करते हुए मेडिकल कॉलेज बनाने से स्थाई पदों में कमी हो रही है जो उचित नही है । कर्मचारियों का भविष्य खतरे में है ।
ऐसा प्रतीत होता है कि अब सरकार कर्मचारियों को दोयम दर्जे का नागरिक मानती है इसलिए बजट में कर्मचारियों हेतु कोई घोषणा नहीं है । कोविड काल मे सरकारी कर्मचारियों ने अपनी जान की परवाह किये बगैर देश के लिए कार्य किया था लेकिन कर्मचारी हित में कोई घोषणा ना होने से कर्मचारियों की आस टूटी है ।
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद जल्द ही एक बैठक कर अपनी प्रतिक्रिया मुख्यमंत्री को प्रेषित करेगा ।

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