लखनऊ। प्रदेश उपमुख्यमंत्री व स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक के निर्देश के बाद भी इमरजेंसी में गंभीर मरीजों को भर्ती नहीं हो रही है। यहां तक इमरजेंसी में प्राथमिक इलाज तक मिलने में दिक्कतें आ रही है। बृहस्पतिवार को पीजीआई ओपीडी इलाज के लिए पहुंचे मासूम बच्चे की अचानक तबियत बिगड़ने पर इमरजेंसी में भर्ती नहीं किया। परिजनों ने डाक्टरों के हाथ पैर जोड़ते रहे, लेकिन बच्चें को लोहिया संस्थान रेफर कर दिया गया। जहां की इमरजेंसी में डाक्टरों ने जांच व प्राथमिक इलाज के बाद एम्बुलेंस से केजीएमयू के ट्रामा सेंटर वेंटिलेटर सपोर्ट के लिए भेज दिया गया, लेकिन जब तक ट्रामा सेंटर पहुंचते तब मासूम बच्चें की मौत हो गयी। डाक्टरों के संवेदनहीनता से नाराज परिजनों का कहना है कि इस पूरे प्रकरण की शिकायत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से करेंगे।
बिहार के रहने वाले विनोद कुमार के बेटे यशस्वी (11) का पीजीआई से इलाज चल रहा था। उसे बुखार के होने के साथ संग प्लेटलेट्स कम हो गयी थी। बृहस्पतिवार को परिजन बेटे को लेकर पीजीआई ओपीडी में दिखाने पहुंचे थे, वहां पर अचानक बच्चा गश खाकर गिर गया। परिजनों ने वही पर बेटे को भर्ती कराने के लिए डाक्टरों से फरियाद किया मगर कोई सुनवाई न हुई। बच्चें को लोहिया संस्थान ले जाने की परामर्श देकर डाक्टर मुंह फेर लिये।
परिजन सुबह करीब 11 बजे लोहिया की इमरजेंसी ले पहुंचे। यहां पर डॉक्टरों ने इमरजेंसी में भर्ती कर बच्चें का सीटी स्कैन सहित कई जांच करायी। इमरजेंसी में प्राथमिक इलाज देने के बाद लगभग एक बजे बच्चें को वेंटीलेटर की आवश्यकता बताकर ट्रॉमा सेंटर रेफर भेज दिया। ट्रॉमा पहुंचते-पहुंचते बच्चें ने रास्ते में दम तोड़ दिया। ट्रॉमा के डॉक्टरों ने एंबुलेंस में बच्चें की जांच पड़ताल बाद उसे मृत घोषित कर दिया। पिता विनोद का आरोप है अगर पीजीआई, लोहिया संस्थान के डाक्टरों की लापरवाही से उनके बच्चें की मौत हो गयी। उनका कहना है कि वह इस पूरे प्रकरण की शिकायत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से करेंगे।