लखनऊ। मल्टी ड्रग रजिस्टेंट (एमडीआर) टीबी की जांच में प्रयोग होने वाली किट की कमी बनी हुई है, जिसके कारण मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
राजधानी में पीजीआई, केजीएमयू, बलरामपुर, लोहिया, ठाकुरगंज संयुक्त चिकित्सालय, राजेंद्र समेत अन्य अस्पतालों में ट्रूनॉट या सीबी नॉट मशीन से टीबी की जांच की जा रही है। बलगम से टीबी की पहचान होने के बाद लक्षण के आधार पर एमडीआर टीबी का पता लगाया जाता है। इसके जांच के लिए यूनिवर्सल ड्रग ससेप्टिबिलिटी टेस्ट (यूडीएसटी) किया जाता है। इस जांच को निक्षय पोर्टल पर अपडेट करने के निर्देश दिया गया है।
अस्पतालों में सामान्य टीबी की जांच तो हो रही है, लेकिन एमडीआर टीबी की जांच में किट की कमी बन गयी है। समय पर जांच नहीं हो पा रही है। इस कारण मरीजों का इलाज प्रभावित रहता है।
बताते चले कि मरीज के पते का सत्यापन, माइक्रोस्कोपिक सेंटर के इंतजामों को परखने की जिम्मेदारी हेल्थ वर्करों की है। मरीज ने दवा खाई या नहीं यह भी निगरानी स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं पर होता है। इसके लिए इन कर्मचारियों को अलग से पेट्रोल या फिर बजट का प्रावधान है,लेकिन तीन महीने से पेट्रोल के बिल का भुगतना नहीं हुआ है। इस कारण पेट्रोल कंपनी ने उधार तेल से देने से मनाकर दिया है। इससे कर्मचारियों को तमाम तरह की दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं। टीबी मरीजों से जुड़ा कार्य प्रभावित है। टीबी अभियान से जुडे बड़े अधिकारी कोई ठोस जवाब नहीं दे रहे है।