-केजीएमयू में कास्मेटिक और एस्थेटिक डेंटिस्ट्री पर कार्यशाला
लखनऊ। अब आपकी मुस्कुराहट पर लोग निसार हो सकें गे। लोगों की मुस्कान को आैर बेहतर बनाने के लिए किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के डेंटल यूनिट में कॉस्मेटिक और एस्थेटिक डेंटिस्ट्री का सेंटर शुरू किया जा रहा है। इसको शुरू करने का प्रस्ताव केजीएमयू प्रशासन को भेजा गया है। यह जानकारी केजीएमयू दंत संकाय के कंजरवेटिव डेंटिस्ट्री और एंडोडोंटिक्स विभाग के प्रमुख डॉ. एपी टिक्कू ने शुक्रवार को डेंटल यूनिट के आडिटोरियम में कंपोजिट विनियर और दातों के रंग, रूप और आकृति को बनाने की तकनीक पर एक दिवसीय कार्यशाला में दी।
डॉ. एपी टिक्कू ने बताया कि मुस्कुराहट को बेहतर बनाने वाला यह प्रदेश का पहला सेंटर होगा। इसमें थ्री डी के जरिए व्यक्ति की चेहरा और उसके दांतो के साथ बेहतर मुस्कुराहट को आकार दिया जा सकेगा। इसके बाद सर्जरी से होने वाले परिवर्तन को मरीज पहले ही देख कर निर्णय ले सकेंगा। लगभग एक करोड़ रुपये की लागत से आधुनिक लैब स्थापित की जाएगी। उन्होंने बताया कि अक्सर लोग दांतों में पीलापन, टूट-फूट या फिर दूसरी परेशानी की वजह से व्यक्ति खुलकर मुस्कराने में हिचकिचाते है। उन्होंने बताया कि यह इलाज लग्जरी होता है। निजी संस्थानों में तीन से पांच लाख रुपये तक खर्च आ जाता है। इस तकनीक में मुंह में सामने के करीब 16 दांतों को सही किया जाता है। महंगा इलाज होने के कारण आम व्यक्ति इस तकनीक का लाभ नहीं उठा पा रहा था। अभी उच्च वर्ग या फिर सिनेमा जगत से जुड़े लोग ही यह इलाज करा पाते हैं। केजीएमयू इस तकनीक से इलाज बेहद सस्ती दर पर करेंगा। प्रस्ताव के अनुसार 40 से 50 हजार रुपये में मरीज इलाज करा सकेंगे।
कार्यशाला में डॉ. रमेश भारती ने कहा कि लोगों में दांतों से जुड़ी परेशानियां तेजी से बढ़ रही हैं। उन्होंने बताया कि आधुनिक इलाज के तहत व्यक्ति के बिल्कुल मिलते हुए दांत लगाए जा सकेंगे। वहीं टेढ़े-मेढ़े दांतों को एकदम ठीक किया जा सकता है। इससे व्यक्ति की मुस्कान बेहतर होती है।
बंगलूरू के डॉ. दीपक मेहता ने कहा कि कंपोजिट रेसिन तकनीक से कास्मेटिक डेंटिस्ट्री में परेशानी का हल पाया जा सकता है। इसमें दांतो के रंग, आकार और रूप को बेहतर किया जा सकता है। व्यक्ति एक बार की सिटिंग सर्जरी में ही मन के अनुसार मुस्कराहट हासिल कर सकते हैं। केजीएमयू कुलपति डॉ. बिपिन पुरी ने कहा कि नयी तकनीक से बेहतर इलाज मुहैया कराने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं। कार्यक्रम में प्रदेश भर के अलग-अलग चिकित्सा संस्थानों और अस्पतालों से लगभग 150 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।