एनिमिया, जोड़ो में दर्द, शरीर में चक्कतें हो सकता है स्किन डिजीज

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लखनऊ। एनिमिया यानी ब्लड की कमी,जोड़ों में दर्द और शरीर पर चक्कतें लगातार बने रहे आैर सामान्य इलाज से सही न हो रहे हो, तो यह स्किन डिजीज के लक्षण हो सकते है, हालांकि यह लक्षण अन्य बीमारियों में भी देखे जाते हैं। इस लिए जांच करके डिजीज का सटीक पता लगाना आवश्यक होता है। यह जानकारी डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान की पैथालॉजिस्ट डॉ.किरन प्रीत मल्होत्रा ने वह शनिवार को किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के कलाम सेंटर में त्वचा रोगों पर आयोजित गोष्ठी को संबोधित कर रही थीं।

 

 

 

 

उन्होंने कहा कि युवा वर्ग में खून की कमी,जोड़ों में दर्द और त्वचा पर रैशेज होने की शिकायत होती है। विशेषकर महिलाओं में यह परेशानी ज्यादा मिली है। इस स्किन डिजीज को सिस्टेमिक ल्यूपस एरिथेमेटोसस (एसएलई) कहा जाता है।

 

 

 

 

उन्होंने बताया कि यह एक आटोइम्यून बीमारी है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर के ऊतकों को नुकसान पहुंचाने लगती है। इस बीमारी से त्वचा को भी नुकसान पहुंचता है। ऐसे में समय पर डाक्टर से सही परामर्श लेना आवश्यक है, ताकि बीमारी का सही इलाज हो सके। इसके अलावा उन्होंने बताया कि किसी भी तरह की त्वचा संबंधित समस्या होने पर बिना डाक्टर के सलाह पर दवा नहीं लेनी चाहिए और न ही कोई क्रीम लगानी चाहिए। नहीं तो बीमारी और बढ़ सकती है और त्वचा को पूरी तरह से खराब कर सकती है। केजीएमयू के डरमैटोलॉजी विभाग की डॉ.पारुल ने बताया कि लम्बे समय से त्वचा की बीमारी से परेशान मरीजों को कई बार बायोप्सी जांच की जरूरत होती है, जिससे बीमारी का सही पता लगाया जा सके,लेकिन कई बार बायोप्सी का नाम सुनकर ही लोग घबरा जाते हैं। उन्होंने कहा कि स्किन बायोप्सी सिर्फ कैंसर की जांच के लिए नहीं होती है। बल्कि अन्य बीमारियों में भी इस जांच की जरूरत पड़ती है। उन्होंने बताया कि विभाग की ओपीडी में प्रतिदिन लगभग तीन सौ से ज्यादा मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं। जिसमें करीब 15 मरीजों बायोप्सी जांच की जरूरत होती है।

 

 

 

कार्यक्रम के ऑर्गनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ.अतिन सिंघई ने बताया कि त्वचा रोग भौगोलिक स्थिति पर भी निर्भर करता है। तराई क्षेत्र में रहने वाले लोगों में कालाजार की समस्या देखी गई है। इस बीमारी का सही समय पर इलाज जरूरी है। इस अवसर पर केजीएमयू के कुलपति ले.ज.डॉ.बिपिन पुरी ने कहा कि डरमैटोलोजिस्टस और पैथोलॉजिस्ट के साथ में मिलकर काम करने से त्वचा संबंधी बीमारियों का सही समय पर पता चल सकेगा। डॉ स्वास्तिका ने बताया कि सीएमसी वेल्लोर की प्रो. मीरा थॉमस व विभिन्न त्वचा रोग विशेषज्ञ और पैथोलॉजिस्ट ने हिस्सा लिया।

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