लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में जल्द ही बोन बैंक शुरू होने जा रहा है। शुरू होने के बाद प्रदेश का पहला बोन बैंक होगा। जहां पर फीमर, टिबिया,फिबुला आैर पटेला जैंसी अस्थियों को बैंक में संरक्षित किया जा सकेगा, जो कि आवश्यकता अनुसार मरीज को बोन रिप्लेसमेंट किया जा सकेगा। बोन बैंक कैंसर व जन्मजात विकृति के मरीजों के लिए भी कारगर होगा। कुलपति प्रो. विपिन पुरी के निर्देश के बाद आर्थोपैडिक विभाग ने बैंक शुरू करने का कार्य शुरू कर दिया गया है।
एम्स दिल्ली में बोन बैंक में बोन डोनेशन शुरू हो गया है। यहां पर अब तक तीस लोग बोन डोनेशन कर चुके है। केजीएमयू में अभी तक ब्लड के अलावा मिल्क बैंक भी चल रहा है। जल्द ही बोन बैंक को शुरू करने की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। आर्थोपैडिक विभाग के डा. दीपक बताते है कि कुलपति प्रो. विपिन पुरी बोन बैंक को शुरू कराने के लिए उत्साहित है। बोन बैंक शुरू करने की प्रगति पूछते रहते है। उन्होंने बताया कि बोन बैक के लिए अन्य बैंक की तरह की लाइसेंस को लेना होगा। इसके बाद बैंक के मानकों परखा जाएगा।
डा. दीपक ने बताया कि बोन बैंक में बाडी डोनेशन करने वाले परिजनों से अनुमति मांगी जाएगी। अगर मिल जाती है। फीमर, टिबिया,फिबुला आैर पटेला जैंसी कुछ महत्वपूर्ण अस्थियों को शरीर से निकाल कर विशेष तकनीक से संरक्षित कर लिया जाएगा। इसके बाद हड्यिों की मैचिंग, मार्कर किया जाएगा। ताकि मौके पर अस्थि का मिलान किया जा सके। इसके बाद कभी भी सर्जन आवश्यकता अनुसार मरीज में टूटी अस्थि की मांग के अनुसार मैचिंग होने के बाद उसे दे दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि बोन बैंक एक्सीडेंट में घायल लोगों के लिए कारगर होगी। हाथ पैर या टूटी अस्थि को बोन बैंक से मिलान करके रिप्लेंसमेंट किया जा सकेगा। इसी प्रकार सर्जरी के दौरान निकाली अस्थियों को डीप फ्रीजर में रखा जाएगा, जिसको डाक्टर आवश्यकता अनुसार निकाल कर मरीज को लगा सकेगा। इसके अलावा बोन बैंक से कैंसर समेत जन्मजात विकृति में भी मरीज को बोन प्रत्यारोपण किया जा सकेगा। आर्थोपैडिक विभाग बोन बैंक शुरू होने की प्रक्रिया से उत्साहित है। डाक्टरों का कहना है कि बोन बैंक शुरू होने के बाद सर्जरी में नया आयाम स्थापित हो सकेगा।