लखनऊ। मरीज के लिए गोल्डेन टाइम बहुत महत्वपूर्ण होती है। इस दौरान सटीक इलाज मिलने से 80 प्रतिशत मरीजों का जीवन सुरक्षित हो सकता है। समय पर सही इलाज 10 से 20 प्रतिशत मरीजों को आईसीयू और वेंटिलेटर तक पहुचने से रोका जा सकता हैं। यह बात किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के इमरजेंसी मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ. हैदर अब्बास ने
विश्व इमरजेंसी मेडिसिन दिवस पर आयोजित कार्यशाला में कही।
डॉ. अब्बास ने कहा कि गोल्डेन टाइम पर सही इलाज न मिलने से 20 प्रतिशत मरीजों की मौत हो रही हैं। उन्होंने कहा कि 60 से 70 प्रतिशत मरीज समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पा रहे हैं। यदि समय पर इलाज न मिले, तो मरीजों की हालत गंभीर हो जाती है आैर इलाज जटिल हो जाता है। डा. अब्बास ने कहा कि यहां की मेडिकल इमरजेंसी में 60 प्रतिशत मरीज आ रहे हैं, इसमें 40 प्रतिशत घायल पहुंच रहे हैं। सभी बीमारियों आैर दिक्कतों के लिए गोल्डेन टाइम के मानक तय है। सही जानकारी न होने के कारण लोग लक्षणों को पहचाने में देरी करते हैं। जब मरीज बेहद गंभीर होता है तब अस्पताल पहुंचते हैं। गंभीर हालत में लाए गए मरीज को बचाना मुश्किल हो जाता है।
डॉ. हैदर अब्बास का कहना है कि निशुल्क एम्बुलेंस सेवा से हालात कुछ सुधर रहे हैं। अभी भी लोग मरीजों के गंभीर होने के लक्षणों को नहीं पहचान पाते हैं। सही जानकारी के अभाव में सही निर्णय नहीं ले पाते है। इस कारण मरीज की हालत बिगड़ जाती है। गोल्डेन टाइम निकल जाता है। उन्होंने बताया कि सांस लेने में दिक्कत, ज्यादा ब्लीडिंग, पेट में पानी, सांप के काटने पर, सीने में दर्द के साथ पसीना आने पर तत्काल डॉक्टर से परामर्श लेनी चाहिए।
्कुलपति डॉ. बिपिन पुरी ने कहा कि इमरजेंसी मरीजों के इलाज में गाइड लाइन का पालन करना चाहिए। इससे लापरवाही की आशंका कम हो जाती है। ऐसे में मरीजों की जीवन सुरक्षित हो सकता है। कार्यशाला में डॉ. शशांक पाटिल, डॉ. आशिमा शर्मा, डॉ. मुकेश कुमार, डॉ. उत्सव आनन्द मणि, डॉ. प्रनय गुप्ता, डॉ. सर्वेश नाथ त्रिपाठी, डॉ. पुष्पराज सिंह, डॉ. आलोक शामिल हुए।