लखनऊ। नेपाल से राजधानी इलाज कराने पहुंचे नवजात शिशु को बेहतर इलाज का दावा करते हुए निजी अस्पताल ने जम कर शोषण किया। इसके बाद तीमारदारों को शिशु की हालत गंभीर बताते हुए उसे किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के इमरजेंसी ट्रॉमा रेफर कर दिया। ट्रामा सेंटर में डाक्टरों ने शिशु की गंभीरता को देखते हुए भर्ती कर लिया। भर्ती के बाद तीमारदार आर्थिक संकट बताते हुए जल्द वापस आने का आश्वासन देते हुए धनराशि लेने नेपाल चले गये। डाक्टर बीस दिन लगातार गंभीर हालत के शिशु का इलाज करते हुए तीमारदारों के आने का इंतजार करते रहे, लेकिन कोई वापस नहीं आया। किसी ने फ ोन भी नहीं उठाया। इलाज के दौरान रविवार को एनआईसीयू में भर्ती शिशु ने दम तोड़ दिया। तीमारदारों से कोई सम्पर्क न हो पाने पर ट्रॉमा प्रशासन ने बच्चे का शव मच्र्युरी में रखवा दिया है। इस प्रकरण की सूचना पुलिस को दे दी है।
नेपाल निवासी ननकी को बीते माह नेपाल में प्रसव हुआ था। जन्म के बाद डाक्टरों ने देखा कि शिशु के पेट व सांस की नली आपस में जुड़ी थी। नेपाल से तीमारदार इलाज के लिए शिशु को लेकर राजधानी पहुंचे। यहां पर नेपाली सिडिकेंट के दलालों ने बेहतर इलाज के नाम पर निजी अस्पताल में भर्ती करा दिया गया।
यहां पर पहले इलाज नाम पर तीमारदारों का जम कर शोषण किया गया। जब शिशु की हालत गंभीर हुई तो उन्हें केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर भेज दिया। ट्रॉमा सेंटर में करीब बीस दिन पहले शिशु को भर्ती किया गया। यहां पर डॉक्टरों ने शिशु की जांच पड़ताल बाद जल्दी सर्जरी कराने की सलाह दी। इस पर तीमारदार अार्थिक संकट बताते हुए इलाज की रकम लेने का दावा करते हुए नेपाल वापस लौट गए। भर्ती के दो दिन बाद डॉक्टरों ने गंभीरता को देखते हुए शिशु की निशुल्क सर्जरी कर दी।
इसके बाद से शिशु को एनआईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया। रविवार सुबह इलाज दौरान शिशु की मौत हो गयी। डॉक्टर व नर्सिंग स्टॉफ ने शिशु की फाइल पर लिखे मोबाइल नंबर पर कई बार कॉल किया, लेकिन बातचीत नहीं हो पायी। ट्रॉमा प्रशासन ने पुलिस को सूचना देने साथ ही शिशु के शव पोस्टमार्टम हाउस में रखवा दिया है।