चश्मा लगाने के बाद धुधंला दिखाई दे,हो सकती है यह ख़तरनाक बीमारी

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-पीजीआई में ऑरबिट्ल सर्जरी के 8 वें सम्मेलन जुटे 200 से अधिक नेत्र रोग विशेषज

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लखनऊ ।यदि आंखों में सूजन के साथ आंख का आकार बढ़ रहा है। नजर कम होने के साथ ही धुंधला दिखना, जलन, पानी आना, लाल होना। रोशनी पड़ने पर आंखों का चमकना। यह लक्षण दिखने पर नजर अंदाज न करें। यह लक्षण आंख में ट्यूमर और थायराइड के हो सकते हैं। तुरंत नेत्र रोग विशेषज्ञ की सलाह लें। यह जानकारी रविवार को संजय गांधी पीजीआई में ऑकुलोप्लास्टिक्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया और लखनऊ ऑप्थेलमिक सोसाइटी के तत्वाधान में ऑरबिट्ल सर्जरी पर आयोजित 8 वें सम्मेलन संस्थान की नेत्ररोग विशेषज्ञ डॉ. रचना अग्रवाल ने दी।

 

 

 

 

 

 

 

 

डॉ. रचना ने बताया कि शुरूआत में दवा से इलाज संभव है। दवाएं कारगर न होने पर ऑकुलोप्लास्टिक सर्जरी आखिरी विकल्प है। पीजीआई निदेशक डॉ. आरके धीमन कांफ्रेंस का उदघाटन किया।

 

 

 

 

डॉ. रचना अग्रवाल ने बताया कि संस्थान में नेत्र रोग विभाग की ओपीडी में हर माह 20 मरीज थायराइड व करीब 10 मरीज ट्यूमर के आते हैं। इसमें बच्चे व बड़े शामिल हैं। अधिकांश में दवाओं से इलाज संभव है। करीब 50 फीसदी में ऑपरेशन की जरूरत पड़ती है। आयोजन समिति की सदस्य डॉ. निधि पाण्डेय ने बताया कि चश्मा लगाने के बावजूद धुंधला दिखाई दे रहा है।

 

 

 

 

 

 

 

 

यह ट्यूमर के संकेत हैं। आंखों में ट्यमर होने पर नेत्रगोलक (आईबाल) के आसपास की कोशिकाएं बढ़ने लगती हैं। यह कोशिकाएं बढ़कर एक ट्यूमर का रूप ले लेती हैं। समय पर इलाज न मिलने पर कैंसर शरीर के दूसरे हिस्से में फैल सकता है। आंखों के कैंसर का जल्द निदान और उपचार ऑकुलोप्लास्टिक व ऑरबिट्ल सर्जरी कर इसे दूसरे अंगों में फैलने से रोक जा सकता है।

 

 

 

 

 

 

 

जन्मजात विकृतियों का इलाज संभव
पीजीआई के ऑप्थलमोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. विकास कनौजिया ने बताया कि ओकुलोप्लास्टिक सर्जरी से आंखों से जुड़ी जन्मजात विकृतियों का इलाज संभव है। पलक व आंख के आसपास की बनावट में विकृति के इलाज में यह तनकीक कारगर है। हालांकि यह ऑपरेशन ऑकुलोप्लास्टिक सर्जन से ही कराएं। सम्मेलन आयोजन की अध्यक्ष व केजीएमयू के नेत्र रोग विभाग की प्रमुख डॉ. अभिजीत कौर, डॉ. पीके अग्रवाल, डॉ. जतिंदर वाही व डॉ. अंकिता समेत 200 डॉक्टर शामिल हुए।

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