लखनऊ। आईसीयू में भर्ती शिशुओं की देखभाल के लिए माता-पिता का सहयोग आवश्यक है। इससे शिशुओं की स्वास्थ्य में तेजी से सुधार होता है। संक्रमण फैलने के कारण से बाहरी लोगों को आईसीयू में जाने से रोका जाता है,लेकिन माताओं को नवजात शिशु के साथ आईसीयू में रहने की अनुमति देना चाहिए। देखा गया है कि इससे अच्छे रिजल्ट मिल रहे हैं।
यह जानकारी त्रिवेंन्द्रम के नियोनेटोलॉजिस्ट डॉ. नवीन जैन ने शुक्रवार किं ग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के बाल रोग विभाग की कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे।
डॉ. जैन ने बताया कि आईसीयू में काफी दिन भर्ती रहने के बाद बाहर आए शिशु में मस्तिष्क, आंख और कानों से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। उन्होंने बताया कि यदि नवजात शिशु को आईसीयू में सुविधाएं सही व पर्याप्त नहीं मिलती है, तो यह आंकड़ा 30 प्रतिशत तक पहुंच सकता है। इस लिए जन्म के तुरंत बाद आईसीयू में इलाज भर्ती रहने वाले प्रत्येक बच्चे के लिए सुनने की क्षमता का परीक्षण कराया जाता है। इसके साथ आंखों की जांच भी कराई जाती है।
बाल रोग विभाग के डॉ. शालिनी त्रिपाठी ने कहा कि जन्म लेने वाले प्रत्येक शिशु की कम उम्र में ही अच्छी देखभाल की जानी चाहिए। देखभाल में कमी से शिशुओं को भविष्य में तमाम तरह की बीमारियों होने का खतरा बना रहता है। उन्होंने कहा कि अब हम केवल 600 या 700 ग्राम वजन के शिशु को बचा पा रहे हैं। कार्यशाला में अन्य वरिष्ठ डाक्टर भी मौजूद थे।