लखनऊ।बेस में नसों का गुच्छा,बनावट में खराबी सहित कई तरह की परेशानी होती है। 4 के विधि से लक्ष्य़ कई गुना अधिक बड़ा दिखता है । सर्जरी के दौरान विशेष लेंस से सर्जरी के लक्ष्य को बड़ा करके देखते है ।
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नई आप्टिक्स लेंस से लक्ष्य और अधिक स्पष्ट होता है। इससे सर्जरी की सफलता दर काफी हद तक बढ़ जाती है। इससे इलाज के अलावा ट्रेनिंग भी काफी अधिक अच्छी होती है। संजय गांधी पीजीआई में आयोजित स्कल बेस सर्जरी सोसाइटी आफ इंडिया के वार्षिक अधिवेशन में प्रो. अरूण श्रीवास्तव ने बताया कि इस विधि से स्कल बेस के ट्यूमर का भी सर्जरी भी काफी हद तक सफल होती है।
नए ट्यूमर के अलावा सर्जरी के दौरान किसी जटिलता के कारण बचे हुए ट्यूमर के खत्म करने में गामा नाइफ उपयोगी है। स्कल बेस के ट्यूमर का सर्जरी काफी जटिल होती है ऐसे में सर्जरी के बाद कई तरह की परेशानी की आशंका रहती है। गामा नाइफ से इलाज करने पर दूसरे परेशानी की आशंका कम हो जाती है। इस थेरेपी में मरीज को गामा किरणों की हाई डोज दी जाती है।
इस थेरेपी के माध्यम से डाक्टर उसी हिस्से पर बारी-बारी से रेडियेशन देते हैं जहां पर ट्यूमर होता है। इस थेरेपी को गर्दन से नीचे नहीं दिया जा सकता है। इसलिए शरीर के दूसरे भाग में हुए ट्यूमर के लिए इलाज के दूसरे तरीकों पर ही जाना होता है।