लखनऊ। दुनिया भर में लगभग 38 करोड 40 लाख लोग सीओपीडी से प्रभावित है। वैश्विक मृत्यु दर का एक प्रमुख कारण है और मृत्यु दर का चौथा प्रमुख कारण भी बनता जा रहा है। यह बात किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानंद ने सीओपीडी अपडेट कार्यशाला में दी।
यह कार्यशाला का आयोजन केजीएमयू के पल्मोनरी एवं क्रिटकल केयर मेडिसिन विभाग ने किया था। कार्यशाला में क्रिटकल केयर विशेषज्ञ डा. वी पी सिंह, विशेषज्ञ डा. राजेन्द्र कुमार सहित आदि मौजूद थे।
कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानंद ने कहा कि अगर देखा जाए तो अनुमानित रैंकिंग एक अनुमान के हिसाब से 2030 तक सीओपीडी दुनिया भर में मौत का तीसरा प्रमुख कारण है। मृत्यु दर सीओपीडी सालाना बडी संख्या में मौतों के लिए जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि सीओपीडी सभी उम्र के व्यक्तियों को प्रभावित कर सकता है।
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क्रिटकल केयर विशेषज्ञ डा. वेद ने कहा कि सीओपीडी की बीमारी वृद्धावस्था में अधिक देखा जाता है। उम्र के साथ इसका प्रसार बढता जाता है। उन्होंने कहा कि एक अनुमान है कि भारत में 5 करोड़ 50 लाख से अधिक लोग सीओपीडी बीमारी से पीडित है। डा. वेद ने कहा कि सीओपीडी के लिए धूम्रपान एक प्रमुख कारक है। बताया गया है कि सीओपीडी के मामले लगभग 40 प्रतिशत तंबाकूव धूम्रपान के सेवन के कारण होते है।
डा. राजेद्र प्रसाद ने कहा कि खाना पकाने के लिए बायोमास ईंधन जैसे कोयला, चूल्हे का उपयोग विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में सीओपीडी के लिए एक महत्वपूर्ण कारक है। क्रिटकल केयर विशेषज्ञ डा. वीपी सिंह ने कहा कि सीओपीडी आमतौर पर अन्य पुरानी दीर्घकालिक बीमारियां जैसे हृदय रोग, मधुमेह और मानसिक स्वास्थ्य विकारों के साथ होने पर रोगी की स्वास्थ्य स्थिति और जटिल और गम्भीर हो जाती है।