लखनऊ। प्रदेश में पापा की परी और लाडले को स्कूटी-कार चलाने पर रोक लगा दी गई है। 18 साल से कम उम्र के बच्चे स्कूटी-कार अब नहीं चला सकेंगे। यदि अभिभावकों ने बच्चों को स्कूटी-कार चलाने को देते है, पकड़े जाने पर उन्हें तीन साल की सजा हो सकती है। इसके साथ ही 25 हजार रुपए का जुर्माना भी लग सकता है।
प्रदेश के माध्यमिक शिक्षा विभाग के निदेशक की ओर से सभी 75 जनपदों के जिला विद्यालय निरीक्षकों (DIOS) को पत्र लिखकर इस नियम की जानकारी दी गई है।
शिक्षा निदेशक की तरफ से जारी किए गए पत्र में लिखा है कि सड़कों पर 18 साल से कम उम्र के स्कूटी सवार बच्चों की संख्या लगातार बढ़ रही है। KGMU व लोहिया संस्थान के जानकारों की रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि सड़क दुर्घटना में मारे जाने वालों में 40% संख्या 18 साल के कम आयु वाले बच्चों की है।
इन होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए सरकार ने अब 18 साल से कम आयु के बच्चों के स्कूटी चलाने पर रोक लगा दी है। राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य डॉ. शुचिता चतुर्वेदी ने यह रिपोर्ट बाल अधिकार आयोग के भेजकर प्रदेशभर में बच्चों की ड्राइविंग पर रोक लगाने की मांग की है। अब पूरे प्रदेश में अभियान चलेगा। इससे पहले सभी विद्यालयों को निर्देश दिए गए हैं कि सभी स्कूलों में जागरूकता अभियान चलाकर बच्चों व अभिभावकों को जागरूक किया जाए।
इसका उद्देश्य यह है कि जब अभियान चले तो कोई वाहन स्वामी या बच्चा ये ना कह सके कि उन्हें पहले से इसकी जानकारी नहीं दी गई थी।
जो नाबालिग वाहन चलाते अगर सड़क पर पकड़े गए तो ऐसे बच्चों का ड्राइविंग लाइसेंस भी 25 साल के बाद ही बनेगा। अगर देखा जाए तो हाईस्कूल और इंटर के लड़के और लड़कियां अधिकतर स्कूटी और अन्य वाहनों से स्कूल आते हैं।
लापरवाही से गाड़ी चलाते हुए वे एक्सीडेंट का भी शिकार हो रहे हैं। इन घटनाओं में सड़क पर चल रहे निर्दोष लोग भी घायल हो जाते हैं।
इन नियमों की सभी को जानकारी देने के लिए सभी स्कूलों में प्रार्थना सभा के दौरान बच्चों पर दो और चार पहिया वाहन संचालन पर लगी रोक की जानकारी दी जाएगी। इसके अलावा स्कूटी से आने वाले बच्चों को स्कूलों की तरफ से भी सख्ती बरतने के निर्देश दिए जाएंगे।