लखनऊ। खड़े होकर भोजन करने से कैंसर की बीमारी होने की आशंका होती है। वर्तमान समय में लिवर कैंसर से पीड़ित मरीजों के बढ़ने का कारण यह हो सकता है। बैठ कर भोजन करने से कैंसर के खतरे को कम किया जा सकता है। यह बात चंडीगंढ पीजीआईएमईआर स्थित डिपार्टमेंट ऑफ रेडियोथेरेपी एंड ऑन्कोलॉजी विभाग प्रमुख प्रो. राकेश कपूर ने बृहस्पतिवार को कल्याण सिंह सुपर स्पेशियलिटी कैंसर संस्थान में डिपार्टमेंट ऑफ रेडियेशन ऑन्कोलॉजी विभाग के स्थापना दिवस समारोह में बतौर मुख्य वक्ता संबोधित करते हुए कही। समारोह में मुख्य अतिथि केजीएमयू की कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानंद मौजूद सहित अन्य वरिष्ठ डाक्टर मौजूद थे।
इस अवसर पर कैंसर संस्थान और मर्क कंपनी के बीच एक समझौता ज्ञापन भी साइन हुआ है। इस समझौता ज्ञापन के तहत कंपनी कैंसर का इलाज कराने आए मरीजों को सही जानकारी उपलब्ध कराएगी, जिससे कैंसर के प्रति लोगों में जागरूकता आए और वह बीमारी के प्रति सतर्क हो सके।
प्रो. कपूर ने बताया कि पहले लोग बैठकर भोजन करते थे, तो लिवर का कैंसर कम होता था। खड़े होकर भोजन मुंह से सीधे पेट के विभिन्न अंगों तक तेजी से पहुंच रहा है, जिससे पेट के कैंसर का खतरा बढ़ रहा है। बैठकर भोजन करने पर चरणबद्ध तरीके से आगे भोजन पचता था, जिससे कैंसर होने का खतरा कम होता था। उन्होंने सुझाव दिया कि कोशिश करें कि बैठकर ही भोजन करें। पार्टियों में जाते हैं तो वहां पर भी बैठकर भोजन करें।
उन्होंने बताया कि मौजूदा समय में भी बहुत से लोगों को कैंसर और उसके इलाज की सही जानकारी नहीं है। इसलिए जागरुकता की बेहद जरूरत है।
उन्होंने बताया कि मौजूदा समय में एचपीवी और हेपेटाइटिस बी की रोकथाम के लिए टीका उपलब्ध है। हेपेटाइटिस बी का टीकाकरण सही समय पर होने से लिवर कैंसर से बचाव संभव है। इसके अलावा एचपीवी यानी की ह्यूमन पैपिलोमावायरस से महिलाओं में गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर होता है। समय पर टीकाकरण कराने से महिलाओं को इस वायरस से होने वाली बीमारी से बचाया जा सकता है।
कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानंद ने कैंसर के इलाज के लिए विदेश में इस्तेमाल होने वाली फ्लैश तकनीक का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि जिसने यह तकनीक इजाद की है। उसके दिमाग में पहले क्रिएटिव आइडिया आया होगा। अब इस तकनीक का इस्तेमाल विदेश में हो रहा है। इस तकनीक के इस्तेमाल से एक ही बार में कैंसर वाले ट्यूमर को खत्म किया जा सकेगा। डिपार्मेंट आफ रेडिएशन ऑन्कोलॉजी के प्रमुख डॉ. शरद सिंह ने बताया कि 3 साल के भीतर करीब साढ़े सात हजार मरीजों का विभाग में पंजीकरण के अलावा 3000 से अधिक मरीजों की रेडियोथेरेपी की जा चुकी है।