लखनऊ। टेढ़ी गर्दन को सीधी करने की सर्जरी में शतप्रतिशत सफ लता से डा. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में नार्थ इंडिया के ज्यादातर बच्चें सर्जरी कराने के लिए आ रहे है। न्यूरो सर्जरी के विशेषज्ञ डा. दीपक सिंह की नयी विशेष तकनीक की सर्जरी से बच्चों को नयी जिंदगी मिल रही है। न्यूरो सर्जरी विभाग के रिसर्च को एशियन स्पाइन जनरल ने प्रकाशित किया जा चुका है।
न्यूरो सर्जरी विभाग प्रमुख डॉ. दीपक सिंह ने बताया है कि बहुत से बच्चों की जन्म से गर्दन टेढ़ी होती है। उम्र बढ़ने के साथ दिक्कतें बढ़ने लगती है। गर्दन टेढ़ी होने के ब्लड का फ्लो भी प्रभावित होता है। इसके साथ ही हाथ-पैर भी धीरे-धीरे बेजान होने लगते हैं। डा. सिंह ने बताया कि दरअसल गर्दन के निकट स्पाइन में परेशानी से मरीज में यह समस्या बन जाती है। स्पाइन कार्ड व नेक बोन का विकास ठीक से नहीं होता है। हड्डी सीधे जुड़ने के बजाए आगे-पीछे रहती है। उन्होंने बताया कि अभी तक सर्जरी के लिए ब्रोन को सप्लाई पहुंचाने वाली नसों को सेफ रखना ही सबसे बड़ी चुनौती थी। सर्जरी के दौरान नसों को हटाया जाता था। इस दौरान जरा सी चूक से मरीज की जान खतरें में पड़ सकती थी।
डॉ. दीपक सिंह ने बताया कि लेकिन नयी तकनीक सी-2 सुपीरियर फेसेटाट्मी तकनीक से स्पाइन व नेक बोन को अपनी- अपनी जगह सेट करके ड्रिल मशीन से हड्डी में सुराख कर स्क्रू से टाइट कर दिया जाता है।
डा. दीपक ने बताया कि सर्जरी में लगाये जाना वाला स्क्रू भी विशेष प्रकार का होता है। यह दोनों तकनीक उनके संस्थान में उनके द्वारा प्रयोग की जा रही है। सर्जरी में नसों को ज्यादा हटाने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। नसों से छेड़छाड़ कम होने से सर्जरी की सफलता दर भी बढ़ गयी है। उन्होंने बताया कि रिसर्च में 15 से 50 साल की उम्र के लोगों को शामिल किया है। डा. दीपक सिंह ने बताया कि एक हजार बच्चों में एक बच्चें को यह समस्या होती है। उनके यहां नार्थ इंडिया से काफी संख्या में बच्चें आ रहे है। इनमें काफी बच्चों की सर्जरी पहले असफल हो चुकी है। उनके यहां पर महीने में दस बच्चों की सर्जरी इस तकनीक से हो रही है।