लखनऊ। बदलती दिनचर्या के कारण लोगों में स्लीपिंग डिसआर्डर बढ़ रहा है। स्लीपिंग डिसआर्डर से हार्ट व नर्व की गंभीर बीमारी हो सकती है। इससे याददाश्त भी प्रभावित हो सकती है। देखा गया है कि युवा वर्ग में समय पर यह बीमारी पता नहीं चलती है आैर वह लोग डायबिटीज, ब्लड प्रेशर आैर मोटापे जैसी गंभीर बीमारियों की चपेट में आ जाते है।
यह बात किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के पल्मोनरी एंड क्रिटकल केयर मेडिसिन विभाग के प्रमुख डा. वेद प्रकाश ने पत्रकार वार्ता को सम्बोधित करते हुए दी।
डा. वेद ने बताया कि स्लीपिंग डिशआर्डर से पीड़ित युवाओं को अहसास तक नहीं होता है कि वह इस बीमारी के चपेट में है। वह गंभीर होते जा रहे है। उन्होंने बताया कि आंकड़ों के अनुसार विश्व में लगभग 93 करोड़ वयस्क इस बीमारी से पीड़ित है।
केजीएमयू के लॉरीकार्डियोलॉजी के प्रमुख डा. एसके द्विवेदी ने बताया कि नींद पूरी न लेना, नींद न आने के कारण हार्ट की दिक्कतें, मेटाबालिक समस्या, ब्लड प्रेशर ब्लड प्रेशर, डिप्रेशन आदि बीमारियां धीरे- धीरे बढ़ने लगती है। वरिष्ठ डा. राजेद्र प्रसाद ने बताया कि विश्व में दो से तीन प्रतिशत वयस्क रेस्टलेस लेग सिड्रोंम नामक बीमारी से पीड़ित है।
इसके अलावा चार से 56 प्रतिशत लोग नींद के अन्य विकारों से पीड़ित है। उन्होंने बताया कि अगर व्यक्ति में दिन में ज्यादा सोना,रात में बार-बार जागना, खर्राटे आना, थकान, याददाश्त में कमी, नींद में चलना आदि रेस्टलेस लेग सिड्रोंम के लक्षण है। डा. वेद ने बताया कि जागारूकता लाने से ही अनिद्रा जैसी बीमारी से निजात पा सकता है। इसके अलावा लाइफ स्टाइल में बदलाव ला कर नियमित व्यायाम, मोटापा कम करना,आक्सीजन थेरेपी आदि अपना कर अनिद्रा जैसे बीमारियों को दूर किया जा सकता है।