लखनऊ। बच्चों में पेट की गैस्ट्रोकोलिक नाम की बीमारी बढ़ रही है। सुबह जल्दी स्कूल जाने के लिए हैवी नाश्ता करने का दबाव नही बनाना चाहिए। अक्सर बच्चा स्कूल जाने की जल्दी में नित्यक्रिया नहीं करता है या रोक लेता है, जो कि आगे चलकर दिक्कत का कारण बनती है। यह बात किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के फिजियोलॉजी विभाग के प्रमुख डा. नरसिंंह वर्मा ने कही।
डा. वर्मा गोमती नगर के बुद्धा आडिटोरियम में इंडियन सोसायटी ऑफ क्रोनोमेडिसिन केजीएमयू आैर यंग स्लैम सोसायटी के कार्यक्रम में सम्बोधित कर रहे थे।
डा. नरसिंह वर्मा ने कहा कि पेट की गैस्ट्रोकोलिक बच्चों में ही नहीं बड़ों में भी पायी जाती है। दरअसल इसमें कुछ खाने के बाद ही पेट साफ होता है। सुबह जल्दी में बाजी में स्कूल बच्चा जब टिफिन लंच में लेता है तो उसे स्टूल पास आउट होने लगता है। ऐसे में वह या रोक लेता है या चला जाता है। काफी बच्चें इस क्रिया को स्कूल में टाल देते है। जो कि गलत है।
उन्होंने बताया कि यह मानव बिहैवियर डिजीज है। दवा से ठीक नहीं होती है। इसके लिए प्रतिदिन रूटीन फालो करना होता है। यंग स्लैम की अध्यक्ष डा. शिप्रा भारद्वाज ने कहा कि बच्चों के स्वास्थ्य आैर मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए स्कूल के समय व भोजन के कार्यक्रम को अनुकूलित करना आवश्यक है। उन्होंने बताया कि बच्चों के लिए अभिभावक को सकारात्मक पेरेंटिंग की भूमिका महत्वपूर्ण होता है।कार्यक्रम में डाक्टरों के अलावा अभिभावक मौजूद थे।