लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के पल्मोनरी एवं क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग विश्व अस्थमा दिवस के उपलक्ष्य पर दो दिवसीय कार्यक्रम का बुधवार को समापन हो गया। कार्यक्रम में एलर्जी एवं अस्थमा के विशेषज्ञ ने एलर्जी एवं अस्थमा के निदान एवं इलाज के लिये प्रशिक्षित किया।
दो दिवसीय सम्मेलन में एलर्जी, अस्थमा और एप्लाइड इम्यूनोलॉजी पर वर्कशाप का आयोजन किया गया। केजीएमयू में पल्मोनरी एवं क्रिटिकल केयर मेडिसिन के प्रमुख प्रो (डॉ) वेद प्रकाश ने कहा कि अस्थमा बच्चों में होने वाली सभी क्रानिक बीमारियों में सबसे प्रमुख कारण है। सभी अस्थमा के मरीजों में सिर्फ 5 प्रतिशत व्यक्ति ही अस्थमा के लिये समुचित रूप से इलाज ले पाते हैं। उन्होंने कहा कि एक अध्ययन के मुताबिक, एलर्जी की दवाइयों में लगभग 4000 करोड़ रुपये का व्यय प्रतिवर्ष होता है। डा. वेद ने बताया कि अस्थमा एवं एलर्जी के लक्षणों में एलर्जिक रायनाइटिस- इससे रोगियों को जुकाम,खासी, नाक बंद होना, अँाख से पानी आना, गले में खुजली इत्यादि लक्षण दिखते है। फूड एलर्जी में विशेष किसी खाद्य पदार्थ का सेवन करने से मुहॅ एवं होटों पर खुजली एवं सूजन, गले में खुजली, शरीर पर चकत्ते, उल्टी एवं जी मिचलाने जैसे लक्षण दिखते है। दवाइओं की एलर्जी- इसमे एलर्जी के लक्षण किसी विशेष दवाई से एलर्जिक रोगियों को विशेष दवा के सेवन से हो सकते है।
अस्थमा में खाँसी, सांस फूलना, छाती में सीटी बजना, जकड़ा होना इत्यादि लक्षण दिख सकते है। इम्यूनोथेरेपी आज की तारीख में एलर्जी का सबसे एडवांस इलाज है, परन्तु यह महंगा है और विशेष परिथितियों में ही इसका इस्तेमाल किया जाता है। डॉ. सचिन कुमार, डॉ. मोहम्मद आरिफ, और डॉ. अतुल तिवारी ने वर्कशाप में स्किन प्रिक टेस्ट, एलर्जेन इम्यूनोथेरेपी प्रिस्क्रिप्शन पर तीन समर्पित वर्कस्टेशन आयोजित किये।