लखनऊ। गोमती नगर के डा. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के डॉक्टरों ने जटिल सर्जरी कर नेपाल के नवजात शिशु को नयी जिंदगी दी है।
डाक्टरों के अनुसार शिशु के आंतों में कई जगह छेद हो गये थे, पूरे पेट में संक्रमण फैल रहा था, इससे पेट में सूजन बनी हुई थी। इलाज के बाद शिशु के स्वास्थ्य में सुधार है। बृहस्पतिवार को शिशु को फालोअप के लिए लाया गया।
नेपालगंज स्थित बांके जिला निवासी गंगा के नवजात शिशु के पेट में अचानक सूजन बढ़ती जा रही थी। इसके साथ ही लगातार उल्टियां होने लगी थी। अभिभावकों का कहना था कि पेट में सूजन व दर्द से शिशु दिन भर रोता था। अभिभावकों ने पहले स्थानीय अस्पताल में शिशु का इलाज कराया, लेकिन फायदा नहीं हो रहा था। शिशु को फिर गोरखपुर ले जाकर इलाज कराया। यहां पर भी शिशु की समस्या का निराकरण नहीं हुआ। शिशु की हालत बिगड़ती जा रही थी, गंभीर हालत में तीमारदार शिशु को लोहिया संस्थान के मातृ शिशु एवं रेफरल अस्पताल लेकर पहुंचे। यहां पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के वरिष्ठ डॉ. श्रीकेश सिंह ने प्राथमिक जांच के बाद शिशु को भर्ती कर लिया। इसके बाद उन्होंने शिशु की कुछ विशेष जांच करायी।
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जांच में शिशु में दुर्लभ बीमारी नेक्रोटाइजिंग एंटरोकोलाइटिस (एनईसी) विद परफोरेशन बीमारी की पुष्टि हुई। डॉ. श्रीकेश ने तत्काल देर न करते हुए सर्जरी करने का निर्णय लिया। छह दिन के नवजात का जटिल सर्जरी में पेट के रास्ते मलद्वार बनाया गया ताकि शिशु का संक्रमण समाप्त किया जा सके। फिर सर्जरी के बाद शिशु को मिनी वेंटिलेटर (बाईपैप) पर रखा गया। उन्होंने बताया कि 20 दिन अस्पताल में बिताने के बाद शिशु पूरी तरह स्वस्थ होकर नेपाल वापस लौट गया।
डॉ. श्रीकेश सिंह ने बताया कि नेक्रोटाइजिंग एंटरोकोलाइटिस लिवर संबंधी जटिल बीमारी है, जो समय से पहले जन्मे शिशु में पाई जाती है। उन्होंने बताया कि शिशु के इलाज पर कुल 20 हजार रुपये का खर्च आया, जबकि निजी अस्पताल में करीब ढाई लाख रुपये खर्च होते। उन्होंने बताया कि फालोअप के लिए बच्चे को ओपीडी में लाया गया। अब वह पूरी तरह से स्वास्थ है।