शोध बाल न्यूरोलॉजी के प्रतिष्ठित जर्नल में प्रकाशित
लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के एमबीबीएस छात्रों ने सेरेब्रल पॉल्सी से जुड़े शुरूआती बायोमार्कर को शोध करके खोजने में सफलता प्राप्त कर ली है। महत्वपूर्ण यह है कि मातृ बायोमार्कर, जो कि बच्चों में सेरेब्रल पॉल्सी के शुरुआती संकेत के रूप में क्रियाशील रहते हैं। यह शोध बाल न्यूरोलॉजी के प्रतिष्ठित जर्नल में प्रकाशित किया गया है।
केजीएमयू में हुए एमबीबीएस छात्र विनय सुरेश के नेतृत्व में किया गया। प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह ने बताया कि टीम ने एक मेटा विश्लेषण के जरिए मातृ बायोमार्कर स्तरों और सेरेब्राल पॉल्सी के खतरों के बीच महत्वपूर्ण जानकारी को तलाश कि या। इस खोज से पता चला कि पहले ट्राइमेस्टर में गर्भावस्था संबंधित प्लाज्मा प्रोटीन-ए का स्तर कम होना और पहले और दूसरे ट्राइमेस्टर में बीटा-एचसीजी के स्तर में कमी से सेरेब्राल पॉल्सी का खतरा अधिक रहता है। यह शोध गर्भावस्था देखभाल में महत्वपूर्ण सुधार ला सकते हैं आैर सेरेब्राल पॉल्सी के खतरे को कम कर सकते हैं।
डॉ. सुधीर ने बताया कि अध्ययन में सेरेब्राल पॉल्सी और गर्भावस्था के दौरान माताओं में पाए जाने वाले बायोमार्कस के स्तर के बीच जोड़ को समझने का प्रयास करता है। उन्होंने बताया कि मस्तिष्क पक्षाघात या सेरेब्राल पॉल्सी एक न्यूरोलॉजिकल परेशानी होती है, जो बच्चों की मांसपेशियों की क्रियाशीलता को प्रभावित करती है, जिन माताओं के शरीर में पहले तिमाही के दौरान पीएपीपी-ए नामक प्रोटीन का स्तर कम था। उनमें जन्म लेने वाले बच्चों में सेरेब्राल पॉल्सी का खतरा ज्यादा था। इसमें पांच अलग-अलग अध्ययन शामिल किये गये थे, जिनमें 1552 मामलों व अन्य तथ्यों का विश्लेषण किया गया।
शोध टीम में केजीएमयू न्यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. आरके गर्ग और डॉ. हारदीप सिंह मल्होत्रा ने सहयोग दिया। इसके साथ ही पीडियाट्रिक्स विभाग की डॉ. अरिशा आलम व एम्स दिल्ली की डॉ. शेफाली गुलाटी शामिल थी। एमबीबीएस छात्र शिवा गुप्ता, यशिता खुलबे, वैभव जैन, मलविका जयन, मदीहा सुब्हान वलीद, नेहा जो, विवेक सैंकर, मुहम्मद आकिब शमिम, अरविंद पी गांधी, प्रियंका रॉय और मैनक बर्धन छात्रों ने सहयोग दिया।