लोहिया संस्थान : बच्चों के लिए दक्षिण पूर्व एशिया का पहला PTRM विकसित

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लखनऊ। डा. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में दक्षिण पूर्व एशिया का पहला पीडियाट्रिक ट्रॉमा रिससिटेशन मॉड्यूल (पीटीआरएम) विकसित किया है। इसमें बच्चों के इमरजेंसी में इलाज से जुड़ी बारीकियां के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। इसके बाद जल्दी ही लोहिया संस्थान में पीडियाट्रिक ट्रामा इमरजेंसी शुरु करने का प्रस्ताव है। लोंिहया संस्थान के डाक्टरों, पैरामेडिकल स्टाफ व अन्य सहयोगियों को प्रशिक्षित किया जाएगा,ताकि इमरजेंसी में बच्चों को उच्चस्तरीय इलाज तत्काल दिया जा सके।

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संस्थान के बाल रोग विभाग की डॉ. नेहा ठाकुर ने दक्षिण पूर्व एशिया का पहला पीटीआरएम विकसित किया। डॉ. नेहा ने बताया कि यह परियोजना आईसीएमआर प्रोजेक्ट के अंतर्गत केजीएमयू के ट्रॉमा सर्जरी विभाग के वरिष्ठ डॉ. समीर मिश्रा के सहयोग से बनायी गयी है। उन्होंने कहा कि माड्यूल में बताया गया है कि ऐसे बच्चे को कैसे संभालेंगे जो पहली मंजिल की बालकनी से गिर गया ? आतिशबाजी के साथ खेला ? गंभीर रूप से जल गया? एक कार दुर्घटना में घायल हो गया?।

डॉ. नेहा ठाकुर के अनुसार बाल चिकित्सा चोट देखभाल का मतलब केवल छोटे वयस्क में चोटों का प्रबंधन करना नहीं है। इसके लिए तकनीकी प्रशिक्षण मिलने से बच्चों को उच्चस्तरीय इलाज मिल सकेगा। उन्होंने बताया कि इसके लिए केजीएमयू, लोहिया संस्थान सहित दिल्ली के चिकित्सा संस्थानों को प्रशिक्षित किया जा रहा है।
निदेशक डॉ. सीएम सिंह ने डॉ. नेहा ठाकुर को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी। निदेशक डा. सीएम सिंह ने डा. नेहा ठाकुर को बधाई देते हुए कहा कि इससे शुक्रवार को हुई स्कूल वैन दुर्घटना में यह मानकीकरण प्रशिक्षण माड्यूल बाल चिकित्सा आघात से सफलता पूर्वक निपटने आैर प्रबंधन में मदद करेगा।

इसके अलावा लोहिया संस्थान में चल रहा एक अन्य कार्यक्रम में मेडिकल एजुकेशन यूनिट की ओर से इनकल्केटिंग क्रिटिकल थिंकिंग स्किल्स इन मेडिकल एजुकेशन विषय पर दो दिवसीय सेमिनार का समापन हुआ।

निदेशक डॉ. सीएम सिंह ने बताया कि कार्यशाला में अलग-अलग मेडिकल संस्थानों के डॉक्टर व रेजिडेंट डॉक्टरों ने हिस्सा लिया। एम्स पटना की डॉ. श्रुति सिंह, डॉ. वीणा कुमारी सिंह, डॉ. प्रशांत कुमार सिंह और डॉ. मीनाक्षी तिवारी शामिल थी। निदेशक ने कहा कि डॉक्टरी पेशे में कभी भी किसी भी प्रकार की आपातकालीन स्थिति का सामना करना पड़ सकता है। उस वक्त यह क्रिटिकल थिंकिंग ही उन्हें उस स्थिति का सामना करने में मददगार साबित होती है।

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