केजीएमयू में आंकोलॉजी विभाग का स्थापना दिवस समारोह
लखनऊ। किं ग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में सर्जिकल आंकोलॉजी विभाग का 26 वें स्थापना दिवस समारोह बुधवार को मनाया गया। शताब्दी भवन के प्रेक्षागृह में समारोह में चैन्नई के डॉ. रामकृष्णन ने कहा कि लोगों में खान-पान की आदतों में तेजी से परिवर्तन हो रहे हैं। काफी संख्या में जंक-फूड का सेवन कर रहे हैं। धूम्रपान का चलन पुरुष के अलावा महिला वर्ग भी तेजी से बढ़ रहा है। पैकफूड, आयल, मसाले भी अंगों को नुकसान पहुंचा रहे है। हानिकारक केमिकल से लोगों को विभिन्न प्रकार के कैंसर हो रहे हैं। समारोह में कुलपति डॉ. सोनिया नित्यानंद, अटल बिहारी वाजपेई मेडिकल विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. संजीव मिश्र समेत अन्य डॉक्टर मौजूद रहे।
केजीएमयू सर्जिकल आंकोलॉजी विभाग के डॉ. समीर गुप्ता ने कहा कि समय पर कैंसर की पहचान इलाज नियंत्रण पाया जा सकता हैं। उन्होंने बताया कि सर्जरी, मेडिसिन और रेडियोथेरेपी से मरीज का इलाज किया जा रहा है। इम्यूनोथेरेपी भी मरीजों में आशा की किरण की तरह है।
डॉ. नसीम अख्तर ने कहा कि अचानक वजन में कमी होने लगे, लगातार फीवर या शरीर में गांठ भी कैंसर की संभावना को बढ़ाता है। इस लिए शरीर में गांठ नजर आने पर जल्द से जल्द विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि अक्सर 80 प्रतिशत गांठ कैंसर नहीं होती हैं, लेकिन शरीर में कहीं भी किसी भी अंग में गांठ को किसी भी दशा में नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। जीवनशैली में परिवर्तन करके कैंसर को काफी हद तक रोक सकते हैं। दिन चर्या में हरी पत्तेदार सब्जियां, मौसमी फल, पौष्टिक खाद्य पदार्थो आदि का सेवन करना चाहिए।
मुंबई टाटा के डा. अनिल डिक्रूज ने कहा कि मुंह, जीभ या गाल के कैंसर की सर्जरी में डॉक्टरों को विशेष सावधानी बरतना चाहिए। उन्होंने कहा कि सर्जरी के टाइम गले में लिम्फ नोड को भी हटा देना चाहिए। इससे सर्जरी की सफलता प्रतिशत को बढ़ाया जा सकता है। बीमारी के दोबारा पनपने की आशंका कम हो जाती है।
केजीएमयू सर्जिकल आंकोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. विजय कुमार ने कहा कि केजीएमयू में प्रदेश भर के विभिन्न जनपदों से कैंसर मरीजों को इलाज उपलब्ध कराया जा रहा है। एक वर्ष के दौरान कैंसर पीड़ित लगभग 1530 मरीजों की मेजर सर्जरी की गयी, जबकि 3500 मरीजों के माइनर सर्जरी की गयी। कुल 5000 मरीजों की छोटी-बड़ी सर्जरी की गयी। उन्होंने बताया कि विभाग में 74 बिस्तर हैं। ज्यादातर बिस्तर हमेशा मरीज से फुल रहते हैं। लगभग 33204 मरीजों को ओपीडी में इलाज उपलब्ध दिया गया है।
विभाग में छह डॉक्टर व छह सीनियर रेजिडेंट हैं, जो दिन रात मरीजों की सेवारत रहते हैं।