लखनऊ । थायराइड की दिक्कत लोगों में बढ़ रही है। शुरूआत में पहचान कर इलाज करना बेहतर रहता है। अगर सही इलाज में देरी से हो जाए तो बीमारी गंभीर हो जाती है आैर जान खतरे में आ जाती है। समय पर इलाज कराने से मरीज सामान्य जीवन रह सकता है। यह बात किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के इंडोक्राइन सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ. आनंद मिश्र ने बृहस्पतिवार को इंडियन एसोसिएशन ऑफ इंडोक्राइन सर्जन्स की 25 वीं राष्ट्रीय कान्फ्रेंस में कही।
केजीएमयू के ब्रााउन हॉल में आयोजित तीन दिवसीय कान्फ्रेंस में डॉ. आनंद मिश्र ने कहा कि थायराइड ग्रंथि गले में होती है। इससे हार्मोन निकलता है।
्गड़बड़ी होने की स्थिति में हार्मोन का निकलता प्रभावित होता है। इससे शरीर में बीमारी बढ़ने लगती है। थायराइड निकलने की स्थिति को क्लीनिकल साइंस में हाइपोथायरायडिज्म कहते है। इसमें मरीज कर हार्ट बीट स्लो होने लगती है। मरीज को हमेशा थका- थका सा महसूस करता है। कई बार तो मरीज अवसाद से भी पीड़ित हो जाता है। वह हल्की ठंड भी सहन नहीं कर पाता है उसका तेजी से वजन बढ़ने लगता है। इस दौरान मरीज को पसीना भी कम आता है। त्वचा में सूखापन और खुजली होने लगती है। अगर कमजोरी व थकान महसूस हो रही है, तो कैल्शियम टेस्ट कराना चाहिए, क्योंकि थायराइड के कारण शरीर में कैल्शियम की कमी हो जाती है।
डॉ. कु लरंजन सिंह ने कहा कि थायराइड सर्जरी में रोबोटिक सर्जरी बेहतर आैर अधिक सुरक्षित है। इससे सर्जरी के दौरान मरीज के ब्लीडिंग कम होती है। संक्रमण की संभावना कम होती है। मरीज जल्द डिस्चार्ज हो जाता है।
डॉ. प्रबोल नियोगी ने कहा कि शरीर में कहीं भी बन रही गांठ को नजरअंदाज न करें। खासकर ऐसी गांठ जो लगातार बढ़ने लगी हो। उन्होंने कहा कि 20 प्रतिशत लोग गांठ को नजरअंदाज कर देते है। काफी लोग ऐसे भी है जो कि विशेषज्ञ डॉक्टर के बजाए दूसरी पैथी से इलाज कराना शुरू कर देते हैं। सही इलाज न मिलने से बीमारी के गंभीर हो सकता है। यही नहीं इलाज में देरी से गांठ कैंसर में भी बदल सकती है। कुलपति डॉ. सोनिया नित्यानंद ने कहा कि इस तरह की कान्फ्रेंस से नयी अपडेट की जानकारी मिलती है आैर तकनीक व नई दवाओं की जानकारी भी बढ़ती है।