लखनऊ। 90 के दशक में देश के जाने माने उद्योगपति रतन टाटा लखनऊ में किसानों से वार्ता करने आये थे। इस्माइलगंज स्थित सीमा पैलेस में किसान का एक प्रतिनिधिमंडल उनसे मिलने पहुंचा था। दरअसल चिनहट के देवा रोड पर टाटा टेल्को (टाटा मोटर्स) की नींव रखी जा रही थी। 556 किसानों की जमीन उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीएसआईडीसी) ने औद्योगिक कंपनियां स्थापित करने के लिए अधिग्रहण किया था। लगभग 850 एकड़ में फैले इस औद्योगिक क्षेत्र में सबसे बड़ी कंपनी के रुप में टाटा का अगमन हो रहा था।
1984-85 में टाटा टेल्को ने अपनी बाउंड्री वॉल का निर्माण शुरु कर दिया था। 1992 में टाटा टेल्को संयंत्र में प्रोडक्शन का काम शुरू हो गया था। धांवा गांव के किसान नेता राम रतन यादव बताते हैं कि टाटा टेल्को में स्थाई नौकरी, मुआवजा सहित अन्य मांगों को लेकर किसानों ने 90 की दशक में आंदोलन शुरु कर दिया। 15 जून 1993 में किसानों 18 घंटे तक चिनहट मटियारी चौराहे पर सड़क लगा दिया था। लखनऊ के दूसरे जगहों पर भी किसान आंदोलन कर रहे थे।
सड़क खुलवाने के लिए 16 जून को जिला प्रशासन ने किसानो पर लाठी जार्च कर दिया। 76 किसानों की गिरफ्तारी हुई। मड़ियांव के भिठौली में किसानों पर गोली चला दी गई जिसमें भाई लाल व एक महिला किसान की शहादत हुई। 1992-93 में किसानों को इस बात की सूचना मिली कि रतन टाटा अपने चिनहट देवा रोड स्थित संयंत्र का दौरा करने आ रहे हैं। तब किसानों ने विरोध शुरू किया। किसानों ने चेतावनी दे डाली कि जब तक प्रभावित किसानों और रतन टाटा के बीच वार्ता नहीं हो जाती हम उनके आगमन का विरोध करेंगे। किसानों की इस मांग पर तत्कालीन जिलाधिकारी ने रतन टाटा से किसानों की मुलाकात कराई। राम रतन यादव ने बताया कि रतन टाटा और किसानों की बीच सीमा पैलेस में अच्छी वार्ता हुई।
उन्होंने किसानों से कहा कि था कि हम जहां अपना प्लांट लगाते हैं वहां की गरीबी दूर हो जाती है। आप लोगों को विकास की मुख्य धारा से जोड़ना अब हमारी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि टाटा के साथ-साथ उन सभी गांवों में भी विकास कार्य किया जाएगा। रतन टाटा के निधन यहां के लोग बेहद दुखी हैं। यहां के लोगों का कहना है कि यह कहना लगत नहीं होगा कि चिनहट देवा रोड का विकास टाटा मोटर्स के वजह से ही हुआ है।